देहरादून. उत्तराखंड में हाईकोर्ट के फैसले के बाद भी देवस्थानम बोर्ड का विरोध थम नहीं रहा है. केदारपुरी में अब देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड की ओर से बनाए गए मास्टर प्लान को लेकर विरोध हो रहा है. अर्धनग्न रहने वाले तीर्थ पुरोहित संतोष त्रिवेदी ने फैसला वापस नहीं लेने पर केदारनाथ में ही समाधि लेने की चेतावनी भी दे डाली है. उन्होंने कहा कि अगर फैसला वापस नहीं लिया गया तो वो केदारनाथ मंदिर के पीछे आदि शंकराचार्य जी की समाधि के पास ही समाधि लेंगे.
"कोरोना के चलते बंद हो यात्रा"
कोरोना की वजह से यात्रा करने आ रहे श्रद्धालुओं को मंदिर में प्रवेश को अनुमति नहीं है. नंदी भगवान की मूर्ति के पास लगी लोहे की ग्रिल से आगे जाने की भी अनुमति नहीं है, इस लिहाज से यात्रा को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं. केदारसभा के अध्यक्ष विनोद शुक्ला ने कहा कि कोरोना के चलते यात्रा बंद कर देनी चाहिए. उन्होंने कहा कि श्रद्धालुओं के लिए रास्ते में ना तो सुविधाएं हैं और ना ही स्वास्थ्य परीक्षण की सुविधा. यहां तक कि गौरीकुण्ड से केदारनाथ के बीच पैदल ट्रैक में भोजन भी उपलब्ध नहीं है.
नैनीताल हाईकोर्ट ने खारिज की थी याचिका
बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने देवस्थानम बोर्ड को नैनीताल हाईकोर्ट में चुनौती दी थी. स्वामी ने अपनी याचिका में कहा था कि धार्मिक यात्राओं का संचालन सरकार का काम नहीं है. हालांकि, बीते महीने हाईकोर्ट हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रमेश रंगनाथन की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने इस याचिका को खारज कर दिया था.
क्या है देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड विधेयक?
उत्तराखंड की त्रिवेंद्र रावत सरकार ने चार धाम समेत कुल 51 मंदिरों के रखरखाव, बुनियादी सुविधाओं और ढांचागत सुविधाओं के लिए देवस्थानम बोर्ड का गठन किया था. बोर्ड के अध्यक्ष मुख्यमंत्री होंगे. वहीं, संस्कृति एवं धर्मस्व मंत्री को उपाध्यक्ष और गढ़वाल मंडल के मंडालायुक्त को इसका सीईओ बनाया गया. मुख्यसचिव, पर्यटन सचिव, वित्त सचिव को इसका पदेन सदस्य नियुक्त किया गया था. इसके अलावा भारत सरकार के संस्कृति विभाग के संयुक्त सचिव स्तर के अधिकारी को भी पदेन सदस्य नियुक्त किया गया है. बतादें कि सनातन धर्म का पालन करने वाले तीन सांसद और 6 विधायकों को भी इसमें शामिल किया गया है.
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