नए कृषि कानूनों के विरोध में राजधानी दिल्ली और उसके आसपास आकर प्रदर्शन करनेवाले किसानों का आज 14वां दिन है. सरकार ने किसानों के प्रदर्शन के बीच कुछ नरमी के संकेत तो दिए लेकिन किसानों के साथ बातचीत में गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को यह साफ कर दिया कि नए कृषि कानूनों को किसी भी सूरत में वापस नहीं लिए जाएंगे.
हालांकि, केन्द्र की तरफ से बुधवार को दिए गए नए प्रस्ताव में एमएसपी समेत एपीएमसी कानून में बदलाव और प्राइवेट प्लेयर पर टैक्स की बातें है. लेकिन, प्रदर्शनकारी किसानों ने अपने रुख को और कड़ा कर लिया है. उन्होंने कहा कि अगर सरकार कानून वापस नहीं लेने की अपनी जिद पर अड़ी हुई है तो किसान भी प्रदर्शन करने की अपने रूख पर कायम हैं.
किसान और सरकार के बीच नए कृषि कानूनों को लेकर जारी गतिरोध के बीच भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष राकेश टिकैत ने कहा- किसान वापस नहीं जाएंगे. यह सम्मान का मामला है. क्या सरकार कानूनों को वापस नहीं लेगी? क्या वे निरंकुश हो गई है? अगर सरकार अड़ियल है तो फिर किसान भी. कानूनों को वापस लेना होगा.”
इधर, किसान संघर्ष समिति, पंजाब के कंवलप्रीत ने सिंघु बॉर्डर पर कहा कि तीनों कृषि कानूनों को वापस लिया जाना चाहिए. यह हमारी मांग है. अगर प्रस्तावित वार्ता सिर्फ संशोधन को लेकर है तो हम उसे खारिज करते हैं.
गौरतलब है कि सरकार के साथ किसानों की अब तक हुई बातचीत का कोई भी नतीजा नहीं निकल पाया. किसान अब कानूनों की पूर्ण रूप से वापसी चाहते हैं जबकि सरकार ने यह साफ कर दिया है कि किसानों को जिन चीजों पर आपत्ति है उसमें संशोधन किया जाएगा लेकिन कानूनों को वापस नहीं लिया जाएगा.
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