नई दिल्ली: तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन 78वें दिन में दाखिल हो चुका है, लेकिन सरकार से बात अब तक नहीं बनी. हालांकि बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा में किसानों को लेकर चर्चा की बात जरूर कही. जिस वक्त पीएम संसद से किसान आंदोलन पर अपनी बात रख रहे थे, उसके ठीक कुछ घंटे बाद ही किसान संयुक्त मोर्चा ने नए सिरे से अपने आंदोलन का एक्शन प्लान पेश कर दिया.
संयुक्त किसान मोर्चा ने रेलवे की राह रोकने का आह्वान किया है. तारीख 18 फरवरी की मुकर्रर की गई है. लेकिन ट्रैक्टर मार्च की तरह कहीं ये नई कोशिश भी हिंसा की भेंट ना चढ़ जाए, इसलिए शांति की अपील अभी से कर दी गई है.
किसान आंदोलन का नया कैलेंडर
- 12 फरवरी यानि कल से राजस्थान में सभी टोल प्लाजा को फ्री करने की मुहिम चलाई जाएगी
- 14 फरवरी को पुलवामा के शहीदों की याद में देशभर में कैंडल मार्च और मशाल जुलूस निकाला जाएगा
- 16 फरवरी को किसान मसीहा छोटूराम की जयंती के दिन देशभर में किसान एकजुटता का प्लान है
- इसके अलावा देशभर में पहले से चल रहे किसान पंचायत कार्यक्रम को भी आगे बढ़ाया जाएगा
दिल्ली के लिए निकले पंजाब के किसानों की राह सबसे पहले खट्टर सरकार ने ही रोकी थी. इसीलिए संयुक्त किसान मोर्चा ने हरियाणा से ही हुंकार भरने का ऐलान कर दिया है. निशाने पर सीधे-सीधे BJP-JJP की गठबंधन सरकार है. रणनीति दोनों ही दलों के विधायकों की घेराबंदी का है. लेकिन लोगों के बीच संदेश ये ना जाए कि संयुक्त किसान मोर्चा का कार्यक्रम किसी दल विशेष के खिलाफ है, इसलिए आंदोलन की धार, राजस्थान में भी दिखेगी.
नवंबर में जब किसान आंदोलन दिल्ली पहुंचा था, तब केंद्र सरकार ने समाधान ढूंढने के लिए 11 दौर की बातचीत भी की. लेकिन नतीजा सिफर निकला. हालांकि बुधवार को पीएम ने भी लोकसभा में एक बार फिर कहा कि कृषि कानूनों पर विपक्ष को राजनीति बंद करनी चाहिए और ये कानून किसानों के हित में है.
26 जनवरी को तीन कृषि कानूनों के खिलाफ ट्रैक्टर रैली के दौरान प्रदर्शनकारी किसान पुलिस से भिड़ गए थे. झड़प के दौरान, प्रदर्शनकारियों के एक वर्ग ने लाल किले में प्रवेश किया और एक धार्मिक झंडा फहराया. अब तक पुलिस ने लगभग 130 लोगों को गिरफ्तार किया है.
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