केन्द्र सरकार की तरफ से लाए गए तीनों नए कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे हजारों की तादाद में किसानों का शुक्रवार को 37वां दिन है. अब तक सरकार के साथ छह दौर की वार्ता हो चुकी है और सातवें दौर की वार्ता 4 जनवरी को होने जा रही है. इस बीच, अगले दौर की वार्ता से ठीक पहले किसान संगठनों ने शुक्रवार की दोपहर बैठक की. इस बैठक के बाद चेतावनी देते हुए उन्होंने कहा कि अगर उनकी मांगें अगली बातचीत में नहीं मानी गई तो उनका यह आंदोलन और तेज होगा.


किसान संगठनों ने कहा कि अगर चार जनवरी को केन्द्र सरकार ने किसानों की बात नहीं मानी तो हरियाणा में सारे मॉल्स और पेट्रोल पंप बंद कर दिए जाएंगे और टोल नाकाओं को फ्री कर दिया जाएगा.





किसान संगठनों ने कहा कि सरकार के साथ अब तक हुई बैठकों में किसानों द्वारा उठाए गए मुद्दों में से केवल 5 प्रतिशत पर चर्चा हुई है. सरकार के साथ वार्ता में अगर सही दिशा में प्रगति नहीं हुई तो हरियाणा-राजस्थान सीमा पर प्रदर्शन कर रहे किसान दिल्ली की तरफ कूच करेंगे. किसान नेता युद्धवीर सिंह ने कहा- सरकार, किसान संगठनों के बीच चार जनवरी को होने वाली बैठक में ठोस फैसला नहीं हुआ तो हम छह जनवरी को ट्रैक्टर मार्च निकालेंगे.


युद्धवीर ने कहा कि ऐसा लगता है कि सरकार ने किसानों के आंदोलन को हल्के में ले लिया है. सरकार शाहीन बाग में प्रदर्शनकारियों को हटाने में सफल रही, वे यही सोच रहे थे कि लेकिन ऐसा दिन कभी नहीं आएगा. यदि सरकार 4 जून को फैसला नहीं लेती है तो किसानों को फैसला लेने पर मजबूर होना पड़ेगा.


जबकि, स्वराज इंडिया के अध्यक्ष योगेन्द्र यादव ने कहा- सरकार यह दावा करती है कि पचास फीसदी मुद्दे सुलझ गए यह गलत है. हमारी दो मुख्य मांगें- तीनों कानूनों को वापस लिया जाए और न्यूनतम समर्थन मूल्य को कानूनी दर्जा दिया जाए, यह अभी लंबित है.


गौरतलब है कि सितंबर महीने में केन्द्र सरकार की तरफ से तीन नए कृषि सुधार संबंधी कानूनों को संसद से पास कराया गया था. सरकार का कहना है कि इससे कृषि क्षेत्र में निवेश का नया अवसर पैदा होगा और हालात सुधरेंगे जबकि किसानों को डर है कि इस कानून के जरिए सरकार एमएसपी खत्म कर देगी और उन्हें उद्योगपतियों को भरोसे छोड़ दिया जाएगा.


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