Wrestlers Protest At Jantar Mantar: दिल्ली पुलिस और प्रदर्शनकारी पहलवानों के बीच जंतर-मंतर पर बुधवार (3 मई) रात हुई हाथापाई के बाद आरोप प्रत्यारोप और सियासत शुरू हो गई है. पहलवानों ने सरकार को पद्मश्री समेत अपने पुरस्कार और पदक लौटाने की धमकी दे डाली है.


इस बीच सुप्रीम कोर्ट ने महिला पहलवानों की याचिका पर कार्यवाही बंद कर दी जिन्होंने भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष के बृजभूषण शरण सिंह खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए हैं. सुप्रीम कोर्ट ने इससे पहले इस बात का संज्ञान लिया कि मामले में प्राथमिकी दर्ज की जा चुकी है और सात शिकायतकर्ताओं को पर्याप्त सुरक्षा प्रदान की गई है.


सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट को बताया कि नाबालिग समेत पांचों शिकायतकर्ताओं के बयान दर्ज कर लिए गए हैं. वहीं याचिका पर सुनवाई बंद करने के कोर्ट के फैसले के बाद प्रदर्शनकारी पहलवानों ने कहा कि यह उनके लिए झटका नहीं है और वे बीजेपी सांसद बृजभूषण के गिरफ्तार होने तक प्रदर्शन जारी रखेंगे.


पुलिस का रिएक्शन


जंतर मंतर पर जारी धरने के 12वें दिन दिल्ली पुलिस ने इन आरोपों का खंडन किया कि पुलिसकर्मी ने नशे की हालत में बुधवार देर रात उन पर बल प्रयोग किया. नई दिल्ली पुलिस उपायुक्त प्रणव तयाल ने कहा कि पांच पुलिसकर्मी घायल हुए हैं जिनमें दो महिलाएं भी हैं. दूसरी ओर पहलवानों ने आरोप लगाया कि पुलिस ने उनकी पिटाई की है और कुछ को सिर में चोट लगी हैं.


पहलवानों के समर्थन में आम आदमी पार्टी ने दिल्ली पुलिस पर झूठा प्रचार करने का आरोप लगाया. दिल्ली में पुलिस केंद्र सरकार के नियंत्रण में है. पुलिस ने धरना स्थल पर अतिरिक्त बल तैनात करके सुरक्षा इंतजाम बढ़ा दिए हैं जिसमें सीसीटीवी कैमरा, कई अवरोधक लगाना और राजधानी की सीमाओं पर कड़ी निगरानी शामिल है ताकि किसानों को प्रवेश से रोका जा सके. दिल्ली पुलिस ने पहलवानों के प्रति एकजुटता दिखाने के लिए दिल्ली आ रहे किसानों के एक समूह को सिंघु सीमा पर रोका. अधिकारियों का कहना है कि 24 को हिरासत में लिया गया है.


डीसीपी तयाल ने ये कहा


डीसीपी तयाल ने कहा कि बुधवार की रात बड़ी संख्या में महिला पुलिसकर्मी तैनात थीं. उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘पुलिस ने प्रदर्शनकारियों के खिलाफ बल का प्रयोग नहीं किया. जहां तक एक प्रदर्शनकारी की चोट का सवाल है तो वह डॉक्टरों के मना करने के बावजूद अस्पताल से चला आया और पुलिस को अभी तक बयान नहीं दिया है.’’ उन्होंने कहा कि मेडिकल जांच में कोई पुलिसकर्मी नशे की अवस्था में नहीं पाया गया. 


बुधवार की रात लगभग 11 बजे तब हंगामा शुरू हो गया जब पहलवान सोने के लिए फोल्डिंग बेड लेकर आए और ड्यूटी पर मौजूद पुलिसकर्मियों ने इसके बारे में पूछताछ शुरू कर दी क्योंकि नियमों के अनुसार प्रदर्शन स्थल पर इस तरह की चीजें लाने की अनुमति नहीं है.


'...तो फिर हम इन पदकों का क्या करेंगे'


विनेश फोगाट और साक्षी मलिक ने दावा किया कि पुरुष पुलिस अधिकारियों ने उन्हें धक्का दिया और उनके लिए अपशब्दों का इस्तेमाल किया जिससे उनके आंसू आ गए. ओलंपिक कांस्य पदक विजेता बजरंग पूनिया ने गुरुवार (4 मई) की सुबह पत्रकारों से कहा, ‘‘अगर पहलवानों के साथ इस तरह का व्यवहार किया जाता है तो फिर हम इन पदकों का क्या करेंगे. इसके बजाय हम अपने सभी पदक और पुरस्कार भारत सरकार को लौटाकर सामान्य जिंदगी जिएंगे.’’


विनेश, साक्षी और बजरंग तीनों देश के सर्वोच्च खेल पुरस्कार खेल रत्न विजेता हैं. साक्षी (2017) और बजरंग (2019) को देश के चौथे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्मश्री से भी सम्मानित किया गया है.


इन नेताओं ने मामले पर बीजेपी को घेरा


पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने महिला पहलवानों की हालत पर चिंता जताते हुए बीजेपी पर हमले बोले. कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बृजभूषण को बर्खास्त करने की मांग की. 


राहुल गांधी, ममता बनर्जी और स्टालिन ये बोले


राहुल गांधी ने ट्वीट किया, ‘‘देश के खिलाड़ियों के साथ इस तरह का बर्ताव शर्मनाक है.’’ कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने पहलवानों की रोते हुए वीडियो टैग करके कहा कि देश का नाम रोशन करने वाली महिला खिलाड़ियों के आंसू देखना दुखद है. बनर्जी ने ट्वीट किया, ‘‘इस तरह से हमारी बेटियों का अपमान शर्मनाक है. भारत अपनी बेटियों के साथ है और मैं निश्चित तौर पर हमारे पहलवानों के साथ हूं .’’ स्टालिन ने आरोप लगाया कि महिला सशक्तिकरण के प्रधानमंत्री के झूठे वादों के विपरीत बीजेपी एक आरोपी को बचाने में लगी है. 


केंद्रीय मंत्री मीनाक्षी लेखी ये बोलीं


वहीं बीजेपी नेता और केंद्रीय मंत्री मीनाक्षी लेखी ने कहा कि पहलवानों के प्रदर्शन की विश्वसनीयता राजनीतिज्ञों के इसमें शामिल होने के बाद खत्म हो गई है. लेखी ने एक प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि केंद्र काफी संवेदनशीलता के साथ पहलवानों के मसले से निपट रहा है चूंकि मामला अदालत में है.


दिल्ली यूनिवर्सिटी के छात्रों समेत अलग-अलग तबकों के लोग पहलवानों के समर्थन में जंतर मंतर पहुंचे. उन्होंने ‘नारी शक्ति जिंदाबाद’, ‘पहलवान एकता जिंदाबाद’, ‘ जो हमसे टकराएगा, चूर चूर हो जाएगा’ जैसे नारे लगाए.


सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?


प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने पहलवानों के वकील की इस मौखिक याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया कि इस मामले में चल रही जांच पर किसी हाई कोर्ट के रिटायर्ड या सेवारत न्यायाधीश निगरानी रखें.


बेंच में न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा और न्यायमूर्ति जेबी पर्डीवाला भी शामिल थे. बेंच ने कहा, ‘‘आप यहां प्राथमिकी दर्ज कराने और शिकायतकर्ताओं की सुरक्षा की विशेष प्रार्थना लेकर आए थे. आपकी दोनों प्रार्थनाओं को मान लिया गया है. अगर आपको अन्य कोई शिकायत है तो आप हाई कोर्ट या संबंधित मजिस्ट्रेट के पास जा सकते हैं.’’ बेंच ने कहा कि वह फिलहाल कार्यवाही बंद कर रही है.


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