काबुल: बीस साल बाद अफगानिस्तान में एक बार फिर आधिकारिक तौर पर तालिबान की वापसी हो चुकी है. सत्ता में लौटे तालिबानियों ने मंत्रालयों का बंटवारा कर दिया है. तालिबान सरकार के नए प्रधानमंत्री मुल्ला हसन अखुंद को यूनाइटेड नेशन ने प्रतिबंधित आतंकी घोषित किया हुआ है. इसी तरह बाकी मंत्रियों के बायोडाटा में आतंकवाद का कॉलम सबसे बड़ा है.


अफगानिस्तान में तालिबानी सरकार की वापसी के बीच पड़ोसी देश पाकिस्तान के खिलाफ जमकर प्रदर्शन हो रहे हैं. अफगानिस्तान में तालिबान सत्ता पर काबिज तो हो गया लेकिन उसकी ये राह आसान नहीं है. आम अफगानी सड़क पर उतर चुके हैं और इनमें महिलाओं की भागीदारी बढ़ चढ़कर दिख रही है. खौफ इस कदर है कि तालिबान प्रदर्शन कर रहे लोगों पर फायरिंग करवाने लगा है. 


अफगानिस्तान के अलग अलग शहरों में विरोध की लहर चल उठी है. इस लहर की अगुवाई वो महिलाएं कर रही हैं जिन्हें परदे में रहने का हुक्म सुनाया गया है.आम अफगानी पंजशीर में तालिबानी लड़ाकों को मिली पाकिस्तानी मदद की खिलाफत कर रहे हैं. 


अफगानिस्तान के शहर हेरात में महिलाएं हाथों में अफगानिस्तान का झंडा लेकिर तालिबान के खिलाफ प्रदर्शन करने के लिए पहुंची. इसके साथ ही लोग गो बैक पाकिस्तान, गो बैक के नारे लिखे पोस्टर करने पहुंचे.


आम अफगानी पंजशीर में पाकिस्तान के दखल से नाराज हैं. जो चाहते हैं कि ये पाकिस्तान अफगान की जमीन को छोड़कर वापस लौट जाएं.  प्रदर्शन में शामिल एक बच्चे की तालिबानियों ने गोली मारकर हत्या कर दी.  परिवार ने बच्चे के शव को बीच सड़क पर रखकर विरोध प्रदर्शन जारी रखा और पाकिस्तान हाय हाय के नारे लगाए. 


काबुल में भी हजारों की संख्या में प्रदर्शनकारी सड़कों पर उतरे. काबुल के बाराकी चौक से शुरू हुआ ये प्रदर्शन पाकिस्तान एंबेसी पर जाकर खत्म हुआ.  लेकिन आजादी के लिए उठने वाली इन आवाजों को दबाना इतना आसान भी नहीं. काबुल की सड़कों पर तालिबान के कमांडरों ने रास्ता रोकने की कोशिश की तो ये महिलाएं उनसे ही भिड़ गईं.


जब तालिबानी इन महिलाओं और प्रदर्शनकारियों की हिम्मत से हारे तो गोलियां चला दीं. स्वतंत्र मीडिया का वादा करने वाले तालिबानियों ने विरोध प्रदर्शन कवर कर रहे कई पत्रकारों को गिरफ्तार भी किया गया.


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