नई दिल्लीः जीएसटी बकाये के भुगतान की मांग को लेकर आठ विपक्षी दलों के नेताओं ने बृहस्पतिवार को सरकार के खिलाफ संसद परिसर में विरोध प्रदर्शन किया, जिसमें कांग्रेस नेता अनुपस्थित थे. विरोध प्रदर्शन के बाद एक प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए, तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के सांसद और राष्ट्रीय प्रवक्ता डेरेक ओ ब्रायन ने कहा कि सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी को विरोध प्रदर्शन के लिए आमंत्रित नहीं किया गया था.


विरोध में शामिल हुए ये लोग


इस विरोध प्रदर्शन में तृणमूल कांग्रेस, तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस), राष्ट्रीय जनता दल (राजद), आम आदमी पार्टी (आप), द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके), समाजवादी पार्टी (सपा), राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) और शिवसेना के नेताओं ने हिस्सा लिया.


डेरेक ओ'ब्रायन ने कहा, ‘‘यह निरंतर स्पष्ट होता जा रहा है कि संसद में, क्षेत्रीय दलों को एक-दूसरे के साथ रणनीतिक रूप से समन्वय करना आसान हो रहा है. कांग्रेस अब मुद्दे और विपक्षी रणनीति का फैसला नहीं कर सकती. वह राज्यों में कुछ नहीं कर सकती और संसद में समर्थन की अपेक्षा करती है.’’


यह विरोध प्रदर्शन, राज्यसभा में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) पर निर्धारित बहस से पहले हुआ. रक्षामंत्री राजनीथ सिंह की अध्यक्षता में बुधवार को विपक्षी दलों के साथ हुई अनौपचारिक बैठक में विपक्षी दलों की मांग पर जीएसटी के मुद्दे पर चर्चा कराने के लिए सरकार सहमत हुई थी.


राज्यों से कही गई ये बात


जीएसटी परिषद की 27 अगस्त की बैठक में, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने स्वीकार किया था कि राज्यों को इस वर्ष तीन लाख करोड़ रुपये के जीएसटी राजस्व अंतर का सामना करना पड़ सकता है, क्योंकि अर्थव्यवस्था कोविड-19 के कारण प्रभावित हो सकती है, जिसे उन्होंने ‘अप्रत्याशित दैविक घटना ’ बताया. राज्यों से कहा गया कि वे कमी को पूरा करने के लिए उधार लें.


यह पूछे जाने पर कि विरोध प्रदर्शन के लिए कांग्रेस को क्यों नहीं आमंत्रित किया गया था, क्षेत्रीय दलों के सूत्रों ने कहा कि टीआरएस और आप जैसी पार्टियां, देश के इस प्रमुख विपक्षी दल के साथ लेने के बारे में सहज नहीं थीं. कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी द्वारा आयोजित एक हालिया बैठक में दिल्ली के मुख्यमंत्री और आप पार्टी के संयोजक अरविन्द केजरीवाल तथा तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चन्द्रशेखर राव (टीआरएस) को आमंत्रित नहीं किया गया था.


यह विरोध प्रदर्शन लगभग 15 मिनट तक चला जिसमें अखिलेश यादव, सुप्रिया सुले, मनोज झा, संजय सिंह जैसे नेताओं ने बैनर और थालियों को लेकर यह दिखाने की कोशिश की कि केन्द्र के द्वारा राज्यों को जीएसटी बकाये के तौर पर क्या भुगतान किया गया है.


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