श्रीहरिकोटा: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने आज सुबह श्रीहरिकोटा से अपने पीएसएलवी सी40/कार्टोसैट-2 मिशन का प्रक्षेपण कर दिया है. यह इस साल का पहला मिशन. यह इसरो का 100वां उपग्रह है जिसने आसमान छुआ है.
पीएसएलवी C40 ने अपने साथ 31 उपग्रह लेकर उड़ान भरी है. जिसमें 3 भारत के और 28 उपग्रह 6 अलग अलग देशों के हैं. जिसमें फ्रांस, फ़िनलैंड, कनाडा, ब्रिटैन, अमेरिका और रिपब्लिक ऑफ़ कोरिया शामिल है.
यह मिशन देश के अंतरिक्ष अनुसंधान कार्यक्रम के इतिहास में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि होगा. इससे पहले भी इसरो एक साथ 104 सैटेलाइट का प्रक्षेपण कर विश्व रिकॉर्ड बना चुका है. भारतीय उपग्रहों में से एक 100 किलोग्राम का माइक्रो सैटेलाइट और एक 5 किग्रा का नैनो सैटेलाइट शामिल है. बाकी 28 सैटेलाइट कनाडा, फिनलैंड, फ्रांस, दक्षिण कोरिया, ब्रिटेन और अमेरिका के हैं.
31 उपग्रहों का कुल वजन 1323 किलोग्राम है. इसरो पिछले साल अगस्त में नेविगेशन उपग्रह IRNSS-1 H के असफल प्रक्षेपण के बाद पहले ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (PSLV) से प्रक्षेपण करेगा. कार्टोसैट-2 एक रिमोट सेंसिंग उपग्रह है. कार्टोसैट सीरीज के सैटेलाइट्स high-resolution scene specific spot imagery में सक्षम है यानि निगरानी की अपनी दक्षता के कारण कार्टोसैट सीरीज के सैटेलाइट को ‘आई इन द स्काई’ के नाम से भी जाना जाता है.
ये भी कह सकते हैं कि भारत के पास एक ऐसा जासूस है जो धरती पर होने वाली गतिविधियों की नजदीक से निगरानी कर सकता है. कार्टोसैट-2सी सीरीज के सैटेलाइट का पहली बार मुख्य प्रयोग 2016 में सर्जिकल स्ट्राइक के वक्त हुआ था. सेना को एलओसी पर आतंकियों के लॉन्च पैड तबाह करने में इस सीरीज के सैटेलाइट से काफी मदद मिली थी.
इस मिशन में काटरेसैट-2 के अलावा भारत का एक नैनो उपग्रह और एक माइक्रो उपग्रह भी लॉन्च किया जाएगा. इन तीन भारतीय उपग्रहों के साथ इसरो अपने उपग्रहों का शतक पूरा करेगा. काटरेसैट-2 एक पृथ्वी अवलोकन उपग्रह है, जो उच्च-गुणवत्ता वाला चित्र प्रदान करने में सक्षम है, जिसका इस्तेमाल शहरी व ग्रामीण नियोजन, तटीय भूमि उपयोग, सड़क नेटवर्क की निगरानी आदि के लिए किया जा सकेगा.