नई दिल्ली: पीएसएलवी सी 48 जैसे ही श्रीहरिकोटा के फर्स्ट लॉन्च पैड से प्रक्षेपित होकर अंतरिक्ष की ओर बढ़ा भारत ने एक और इतिहास अपने नाम कर दिया. पीएसएलवी सी 48 के लॉन्च के लिए उल्टी गिनती कल शाम यानी मंगलवार को शाम 4 बजकर 40 मिनट पर शुरु कर दी गई थी. इसरो भारत के पोलार सैटेलाइट लॉन्च व्हेकिल पीएसएलवी सी 48 को दोपहर 3.25 को प्रक्षेपित किया गया. देश के नवीनतम जासूसी उपग्रह RISAT-2BR1 के साथ 9 अन्य विदेशी उपग्रहों को एक साथ लॉन्च किया गया. लॉन्च के करीब 17 मिनट में RISAT-2BR1 को अपनी कक्षा में स्थापित किया गया और बाकी 9 कमर्शियल उपग्रहों को 21 वें मिनट पर अपनी अपनी कक्षा में स्थापित किया गया. भारत का RISAT-2BR1 एक रडार इमेजिंग उपग्रह है जो की पृथ्वी निगरानी करेगा. उपग्रह का वजन 628 किलो है. यह लॉन्च इसरो के पीएसएलवी वर्ज़न का पचासवां पीएसएलवी लॉन्च था. आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा रॉकेट पोर्ट के पहले लॉन्च पैड से इसे लॉन्च किया गया.


RISAT-2BR1 को 576 किमी की कक्षा में स्थापित किया गया. मिशन की आयु पांच साल की होगी. आपको बता दें कि इसरो ने हाल ही में नवम्बर 27 को कार्टोसैट 3 का प्रक्षेपण किया था जिसके साथ 13 अन्य विदेशी उपग्रहों को अंतरिक्ष में भेजा गया था. कार्टोसैट 3 को स्पाई इन द स्काई कहा जाता है. जो कि थर्ड जेनरेशन का उपग्रह है और पूरी तरह से पृथ्वी कि निगरानी रखने में सक्षम. सेना के लिए भी इसलिए फायदेमंद क्योंकि दुश्मन की हर गतिविधि पर नजर रख रहा है यह उपग्रह.


इसरो RiSAT2BR1 सैटेलाइट को पीएसएलवी-सी48 क्यूएल रॉकेट के जरिए लॉन्च किया गया. साथ ही अमेरिका के 6, इजरायल, जापान और इटली के भी एक-एक सैटेलाइट का प्रक्षेपण इसी रॉकेट से किया गया. इसरो का यह 75वां लॉन्च मिशन था. वहीं पीएसएलवी की 50 वीं उड़ान. साथ ही इस साल की छठी उड़ान थी. वहीं पीएसएलवी क्यू एल वर्ज़न की दूसरी उड़ान.


RiSAT-2BR1 दिन और रात दोनों समय काम करेगा. ये माइक्रोवेव फ्रिक्वेंसी पर काम करने वाला सैटेलाइट है. इसलिए इसे राडार इमेजिंग सैटेलाइट कहते हैं. यह उपग्रह किसी भी मौसम में काम कर सकता है. साथ ही यह बादलों के पार भी तस्वीरें ले पाएगा. लेकिन ये तस्वीरें वैसी नहीं होंगी जैसी कैमरे से आती हैं. देश की सेनाओं के अलावा यह कृषि, जंगल और आपदा प्रबंधन विभागों को भी मदद करेगा.


RiSAT-2BR1 का कैमरा बादलों को भेदकर भी तस्वीरें निकालने में सक्षम


RiSAT-2BR1 की यह टेक्नोलॉजी कार्टोसैट 3 सैटेलाइट की टेक्नोलॉजी से इसलिए अलग है क्योंकि RiSAT-2BR1 का कैमरा बादलों को भेदकर भी तस्वीरें निकालने में सक्षम है जो कि कार्टोसैट 3 नहीं कर पाएगा. हालांकि इसरो के सूत्रों के मुताबिक RiSAT-2BR1 का कैमरा रिजॉल्यूशन भी बिल्कुल कार्टोसैट 3 जैसा ही होगा यानी उसी हाई रिजॉल्यूशन की तस्वीरें लेने में सक्षम होगा. दिन हो या रात, बारिश हो या धुंध RiSAT-2BR1 अपनी इस खासियत के साथ सेना की बड़ी मदद करेगा. इतना ही नहीं दुश्मन की हर गतिविधि पर पूरी तरह से नजर रखी जा सकें इस लिए आने वाले दिनों में इसरो इसी सीरीज के उपग्रहों को प्रक्षेपित जल्द से जल्द करेगा.


यहां आपको यह भी बता दें कि इस साल जितने भी उपग्रहों को प्रक्षेपित किया गया है उनमें से अधिकतर सैन्य उद्देश्यों से ही भेजे गए हैं. यही कारण है कि इसरो एक के बाद एक रिकॉर्ड सैटलाइट प्रक्षेपण कर रहा है. जल्द इसरो इसी सीरीज का RiSAT-2BR2 का प्रक्षेपण पीएसएलवी सी49 के जरिए करेगा. बताया जा रहा है कि इसी महीने या जनवरी तक इसका भी प्रक्षेपण कर दिया जाएगा.


सैटेलाइट के जरिए सीमाओं की निगरानी की जा रही है


26/11 को मुंबई पर हुए आतंकी हमलों के बाद शुरुआती रीसैट सैटेलाइट की तकनीक में काफी बदलाव किया गया. इन्हीं हमलों के बाद इस सैटेलाइट के जरिए सीमाओं की निगरानी की जा रही है. घुसपैठ पर पूरी तरह से नजर रखी जा रही है. साथ ही आतंकविरोधी कामों में भी यह सैटेलाइट उपयोग में लाई जाती है. इससे पहले कार्टोसैट सीरीज के उपग्रहों की मदद से ही भारत ने सर्जिकल स्ट्राइक और बालाकोट स्ट्राइक को अंजाम दिया. सेना को हर गति विधि की तस्वीरें मुहैया कराने में पूरी तरह सक्षम है यह सीरीज और अब RiSAT-2BR1 और इस सीरीज के अन्य सैटलाइट की मदद से ये ज़रूर कह सकते हैं कि भारत की अंतरिक्ष में इस खुफिया आंख से दुश्मन बच नहीं पाएगा.