नई दिल्ली: रोजगार के ज्यादा से ज्यादा मौके मुहैया कराने के मकसद से सरकार ने दो सूत्री पैकेज का ऐलान किया है. इसके तहत जहां सरकारी बैंकों को दो लाख करोड़ रुपये से ज्यादा की अतिरिक्त पूंजी मिलेगी, वहीं दूसरी ओर देश भर में करीब सात लाख करोड़ रुपये की सड़क परियोजना को मंजूरी दी गई है.


सरकारी बैंकों के लिए बूस्टर


फंसे हुए कर्ज यानी एनपीए की भारी समस्या से जूझ रहे सरकारी बैंकों को चालू कारोबारी साल यानी 2017-18 और अगले कारोबारी साल यानी 2018-19 में कुल मिलाकर 2.11 लाख करोड़ रुपए मिलेंगे. इस पैसे की बदौलत सरकारी बैंकों की पूंजी पर्याप्तता अनुपात यानी सीएआर में बढ़ोतरी होगी. ध्यान रहे कि सीएआर बैंकों को कर्ज के जोखिम से निबटने में मदद करता है. नोटबंदी के बाद बैंकों के पास नकदी तो आ गई, लेकिन वो रकम कर्ज के तौर पर देने में दिक्कत सीएआर को लेकर रही.


अब अतिरिक्त पूंजी मिलेगी तो बैंकों को ज्यादा से ज्यादा कर्ज देने में सहूलियत होगी. ऐसी स्थिति में फंसी हुई परियोजनाओं के साथ-साथ नई परियोजनाओं के लिए पैसे का इंतजाम हो सकेगा. ये रोजगार के मौके बढ़ाने में मदद करेगा. ये भी तय किया गया है कि सूक्ष्म, लघु और मझौले उद्यम यानी एमएसएमई को ज्यादा से ज्यादा मदद दी जाएगी. एमएसएमई बड़े पैमाने पर रोजगार के मौके तैयार करता है. दूसरी ओर क्षेत्र विशेष के लिए मुद्रा योजना तैयार की जाएगी.


वित्त मंत्री अरुण जेटली का दावा है कि सरकारी बैंकों के लिए अतिरिक्त पूंजी की वजह से सरकारी खजाने के घाटे यानी फिस्कल डेफिसिट पर कोई असर नहीं पड़ेगा. इसी को ध्यान में रखते हुए तय किया गया है कि 2.11 लाख करोड़ रुपये में से 1.35 लाख करोड़ रुपए बॉन्ड के जरिए जुटाए जाएंगे. बॉन्ड कौन जारी करेगा, ये कितने मियाद के होंगे और इन पर ब्याज दर क्या होगी. ये सब बाद में तय होगा. लेकिन मुमकिन है कि बॉन्ड सरकार के बजाए कोई एजेंसी मसलन रिजर्व बैंक जारी करे. साथ ही यहां ये भी ध्यान रखा जाएगा कि अंतरराष्ट्रीय चलन के बॉन्ड का हिसाब-किताब सरकारी खजाने से नहीं जुड़ा हुआ हो.



बाकी बचे 76 हजार करोड़ रुपए में से 18 हजार करोड़ रुपये सरकार बजट के जरिए मुहैया कराएगी. इसमें से 10 हजार करोड़ रुपए का प्रावधान पहले ही इस बजट में किया जा चुका है, जबकि बाकी 8 हजार करोड़ रुपए अगले कारोबारी साल से मिलेगा. 58 हजार करोड़ रुपए का इंतजाम बाजार से उधारी और बैंकों के शेयर बेचकर किए जाएंगे. बैंकों के शेयर बेचने के समय इस बात पर ध्यान रखा जाएगा कि किसी भी सूरत में सरकार की हिस्सेदारी 52 फीसदी से कम नही हो. अतिरिक्त पूंजी का फायदा प्रदर्शन के विभिन्न शर्तों को पूरा करने वाले बैंकों को ही मिलेगा.


यहां ये भी सवाल उठा कि बैंकों को पूंजी मुहैया कराई जा रही है, तो बैंकों की जवाबदेही कैसे तय होगी. इस पर वित्त मंत्री अरुण जेटली का कहना था कि बैंकिंग क्षेत्र में सुधार कार्यक्रम पर काम चल रहा है और अगले कुछ महीनों में उसका ऐलान किया जाएगा. बतौर जेटली, 2008 से 2014 के बीच मनमानें तरीके से कर्ज बांटे गए, जिसकी वजह से बैंकों का एनपीए खतरनाक तरीके से बढ़ा. अब अनाप-शनाप तरीके से कर्ज बांटने और कर्ज चुकाने वालों को कर्ज मिले, इसका इतंजाम किया जा रहा है.


सड़क परियोजना


सरकार ने पांच सालों में 83,677 किलोमीटर सड़क बनाने के प्रस्ताव पर भी मुहर लगा दी है. इसपर कुल मिलाकर 6.92 लाख करोड़ रुपए खर्च होंगे और इससे 14.2 करोड़ रोजगार के मौके बनेंगे. गौर करने की बात ये है कि सड़क परियोजनाओं में सीधे रोजगार तो मिलता ही है, बड़े पैमाने पर अप्रत्यक्ष रोजगार के मौके भी बनते हैं. जैसे, जहां सड़क बन रहा होता है, वहां मजदूर काम पर लगते हैं तो उनके लिए चाय-पानी-भोजन वगैरह के लिए पास में छोटे-छोटे ढाबे खुल जाते हैं. इसी प्रस्ताव का एक अहम हिस्सा है भारत माला परियोजना. देश के विभिन्न हिस्सों में कुल मिलाकर 34,800 किलोमीटर सड़क बनाई जाएगी, जिस पर कुल मिलाकर 5.35 लाख करोड़ रुपए खर्च होंगे.


अर्थव्यवस्था की स्थिति


इन प्रस्तावों की रुपरेखा पेश करने के साथ ही अर्थव्यवस्था को लेकर चल रही बहस का भी जवाब दिया. वित्त मंत्री जेटली ने साफ कहा कि बुनियाद मजबूत है और विभिन्न संकेत बेहतर हैं. जेटली की बातों को आगे बढ़ाते हुए आर्थिक मामलों के सचिव सुभाष गर्ग ने कहा कि औसतन महंगाई दर दो फीसदी के नीचे बनी हुई है और उम्मीद है कि साल के अंत तक ये चार फीसदी के आसपास रहेगी. वित्त सचिव अशोक लवासा का कहना था कि बजटीय लक्ष्य का 54 फीसदी पहले छह महीने मे खर्च हो चुका है. हालांकि अभी भी निजी निवेश को लेकर चिंता बनी हुई है, लेकिन उम्मीद है कि आगे इसकी रफ्तार बढ़ेगी.