नई दिल्ली: मोदी सरकार के स्वच्छता अभियान को सफल बनाने में जुटी पुडुचेरी की उप-राज्यपाल किरण बेदी को अपना ही फैसला वापस लेना पड़ा है. बेदी ने एक आदेश में कहा था कि पुडुचेरी के जिन गांवों में लोग खुले में शौच करेंगे और कूड़ा फैलाएंगे, उन्हें सरकार की ओर से मिलने वाले मुफ्त चावल नहीं दिया जाएगा. आदेश के मुताबिक, गांव वालों को पहले प्रमाण देना होगा की उसका गांव स्वच्छ है तभी राशन दिया जाएगा.








स्वच्छता के लिए राशन पर रोक के फैसले को कांग्रेस ने 'तानाशाही' करार दिया और केंद्र की मोदी सरकार पर सवाल खड़े किये. जिसके बाद उप-राज्यपाल किरण बेदी ने फैसले वापस ले लिए. उप-राज्यपाल ने एक पत्र जारी कर कहा कि इस आदेश के पीछे के इरादे को गलत तरीके से लिया गया. उन्होंने कहा, ''सरकार द्वारा की गई आगामी प्रतिबद्धता को ध्यान में रखते हुए कि पुडुचेरी के गांव जून के अंत तक ओडीएफ प्राप्त करेंगे, मुझे उन्हें कुछ और समय देने में खुशी होगी. इसलिए मैं अपने पूराने आदेश वापस लेती हूं.''


पहले क्या कहा था किरण बेदी ने?
देश की पहली महिला आईपीएस किरण बेदी ने कहा था, ''यदि आप स्थानीय राज्य संचालित अस्पताल में डायलिसिस मशीन चाहते हैं, तो अपने गांव को स्वच्छ बनाएं. आप मुफ्त चावल चाहते हैं, अपने गांव को साफ करें ... पुरुष, महिला बच्चे, हर कोई आपके गांव को साफ करो. आपके पास एक महीने का है समय है. ये सब आपको केवल इसी शर्त पर दिया जाएगा कि आपका गांव स्वच्छ और साफ है.''


कांग्रेस हमलावर
पुडुचेरी में कांग्रेस सत्तारूढ़ है. कांग्रेस के प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि उप-राज्यपाल का फैसला दुर्भाग्यपूर्ण है. कांग्रेस ने कहा, ''उपराज्यपाल गरीबों का राशन क्यों छीन रही हैं. गरीबों का राशन छीनना देश के लिए अच्छा नहीं है.''