श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में आतंकी हमले के बाद सरकार ने बड़ा कदम उठाते हुए 18 अलगाववादी नेताओं में से कुछ की सुरक्षा वापस ले ली है, तो कुछ की सुरक्षा कम कर दी है. साथ ही राजनीति से जुड़े 155 लोगों की सुरक्षा में भी बदलाव किया गया है.
जम्मू-कश्मीर के गृह विभाग के प्रवक्ता के मुताबिक, जिन लोगों की सुरक्षा वापस ली गई है या कम की गई है उनमें अललगाववादी नेता सैयद अली गिलानी, आगा सैयद मोसवी, मौलवी अब्बास अंसारी, यासीन मलिक, सलीम गिलानी, शहीद उल इस्लाम, जफर अकबर भट, नईम अहमद खान, मुख्तार अहमद वाजा, फारूक अहमद किचलू, मसरूर अब्बास अंसारी, आगा सैयद अबुल हुसैन, अब्दुल गनी शाह और मोहम्मद मुसद्दिक भट शामिल है.
जम्मू-कश्मीर प्रशासन के इस कदम से 1000 से अधिक पुलिसकर्मी आतंक के खिलाफ कार्रवाई और राज्य की सुरक्षा मे शामिल हो सकेंगे. करीब 100 से अधिक सरकारी गाड़ियां भी फ्री होगी.
प्रशासन ने 155 राजनीतिक व्यक्तियों और कार्यकर्ताओं की भी सुरक्षा वापस ली है. इनमें आईएएस अधिकारी रहे शाह फैजल और वाहिद पर्रा भी शामिल हैं. सभी को हमले की आशंकाओं को देखते हुए सुरक्षा दी गई थी.
इससे पहले 17 फरवरी को जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने अलगाववादी नेता मीरवाइज उमर फारूक प्रोफेसर अब्दुल गनी भट, बिलाल लोन, हाशिम कुरैशी और शबीर अहमद की सुरक्षा वापस लेने का फैसला किया था.
पुलवामा हमला: सरकार का बड़ा फैसला, घाटी में मीरवाइज समेत 5 अलगाववादी नेताओं की
ध्यान रहे कि गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने शुक्रवार को कश्मीर घाटी के दौरे के दौरान कहा था कि पाकिस्तान से धन प्राप्त करने वालों को मुहैया कराई गई सुरक्षा की समीक्षा की जाएगी.
अलगाववादी नेताओं पर कश्मीर के युवकों को भटकाने, आतंक के रास्ते पर धकलने का आरोप है. सरकार लंबे समय से अलगवाववादी नेताओं की सुरक्षा वापस लेने पर विचार कर रही थी. 14 फरवरी को पुलवामा में आतंकी हमले के बाद सरकार ने सख्ती बरती है.