Pulwama Attack: पुलवामा हमले में जान गंवाने वाले CRPF जवानों की पत्नियों की आपबीती, कहा- सरकार नहीं सुन रही आवाज
CRPF Jawans Wives Protest: राजस्थान के जयपुर में शहीद स्मारक पर पुलवामा में शहीद हुए तीन सीआरपीएफ जवानों की पत्नियों ने विरोध प्रदर्शन किया. उनका आरोप ही सरकार उनकी अनदेखी कर रही है.
Pulwama Attack: पुलवामा में हुए आतंकी हमले को 4 साल हो गए हैं. इस हमले में 40 जवान शहीद हो गए थे. राजस्थान के जयपुर में पुलिस कमिश्नरेट से कुछ ही दूरी पर शहीद स्मारक के एक कोने में मंजू लांबा और दो अन्य महिलाएं विरोध-प्रदर्शन के लिए बैठी हैं. ये तीनों महिलाएं पुलवामा हमले में जान गंवाने वाले सीआरपीएफ जवानों की पत्नियां हैं. उनका कहना है कि आज उनके साथ कोई नहीं है. सरकार भी उनकी बात नहीं सुनती है.
विरोध पर बैठी 23 वर्षीय मंजू लांबा ने बताया कि जब उनके पति शहीद हुए तो जो मंत्री उनसे मिलने आए तो सभी ने उनकी तारीफ की. हमने सोचा कि हम अपने बच्चों को भी देश के लिए लड़ने भेजेंगे, लेकिन हम हाथ जोड़कर कहते हैं कि हम अपने बच्चों को नहीं भेजेंगे. आज उनके साथ कोई नहीं है. सरकार हमारी बात नहीं सुनती, बल्कि हमें तितर-बितर करने के लिए पुलिस का इस्तेमाल करती है.
'सरकार ने नहीं किए वादे पूरे'
फरवरी 2019 में पुलवामा हमले में शहीद हुए 40 सीआरपीएफ जवानों में से एक रोहिताश लांबा की पत्नी मंजू कहती हैं जब हमारी आवाज नहीं सुनी जाती है तो वे हमें वीरांगना क्यों कहते हैं. उनका कहना है कि सरकार ने उनसे किए किसी भी वादे को पूरा नहीं किया. राजस्थान सरकार के कई मंत्री उनके पति के अंतिम संस्कार के लिए उनके गांव गोविंदपुरा में आए थे. इस दौरान उन्होंने उनके पति के लिए गांव में एक स्मारक बनाने और उनके देवर को सरकारी नौकरी देने का वादा किया था, लेकिन आजतक कोई वादा पूरा नहीं किया गया.
बीजेपी के राज्यसभा सांसद का मिला साथ
शहीद जवानों की पत्नियों को महिलाओं के साथ धरने पर बैठे भाजपा के राज्यसभा सांसद किरोड़ी लाल मीणा का समर्थन मिला है. मधुबाला ने कहा कि उन्हें सरकार ने वादा किया था कि सांगोद के अदालत चौराहा में उनके पति की एक मूर्ति स्थापित की जाएगी और उनके गांव के स्कूल का नाम उनके नाम पर रखा जाएगा, लेकिन आज तक ये वादे पूरे नहीं किए गए हैं. उनका कहना है कि ये कोई इतनी बड़ी मांगे नहीं हैं कि उन्हें धरने पर बैठना पड़े. वहीं, जीत राम गुर्जर की पत्नी सुंदरी गुर्जर ने कहा कि वह भरतपुर के अपने गांव से अपने साले को सरकारी नौकरी और स्मारक बनवाने की मांग को लेकर जयपुर आई है.
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