नई दिल्लीः जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में आतंकी हमले को लेकर जहां देश भर में पाकिस्तान की सरकार के खिलाफ गुस्से का माहौल है वहीं, इस आतंकी हमले की निंदा न सिर्फ भारत के लोग कर रहे हैं बल्कि विदेशों में भी पाकिस्तान की आलोचना हो रही है.


ABP न्यूज से एक्सक्लूसिव बातचीत के दौरान इस बर्बर घटना को लेकर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान की पूर्व पत्नी रेहम खान ने भी कड़ी निंदा की है. इतना ही नहीं उन्होंने आरोप लगाया कि इमरान खान पाकिस्तानी सेना और ISI के हाथों में खेल रहे हैं.


प्रश्नः क्या लगता है कि दुनिया के सामने इमरान खान बेनकाब हुए?


उत्तरः देखिए मैंने जब इलेक्शन से पहले किताब लिखी तो मुझे बहुत कुछ बुरा भला कहा गया. मुझे बहुत लोगों ने कहा कि किसी की एक्स वाइफ को इस तरह से लिखना नहीं चाहिए था. लेकिन मैं यह समझती थी कि अगर किसी का फर्ज बनता है और नजदीक से जानते हों और उनकी हकीकत और उनकी सच्चाई आपको दिखाई दे तो दुनिया को बताना चाहिए. तो मैंने सोचा कि अपनी जिंदगी में लोगों को बताऊं कि इमरान खान कहते कुछ हैं और करते कुछ हैं आपके सामने बहुत अच्छे से प्यार से ऐसे कोई बात करेंगे कि आपका दिल मोह लेंगे और आप समझेंगे कि हां यही सच है लेकिन तुरंत आपके पीठ पीछे ऐसे खंजर भोंक देंगें कि आपको यकीन ही नहीं आएगा. तो हम जितने लोग इनको नजदीक से जानते हैं वह इनके बारे में जान चुके हैं बहुत ज्यादा निराश हुए हैं. यह सच बहुत ही कम ही बोलते हैं.


प्रश्न: हमले के पांच दिन बाद सांत्वना, निंदा और शोक के दो शब्द नहीं बोलते हैं. उनका व्यवहार नीयत के बारे में क्या बताता है?


उत्तरः देखिए चुनाव से पहले तकरीबन एक साल पहले जो एक नॉन पाकिस्तानी पत्रकार हैं उनको बता दिया गया था कि नेक्स्ट पीएम इमरान होंगे और उनका चुनाव पहले ही हो चुका था. मुझे बोला गया था कि आप उनके खिलाफ कुछ नहीं बोलेंगी और न हीं उनके खिलाफ किताब लिखेंगी. इमरान को जिस तरह हम जानते हैं उस हिसाब से उनको बस पीएम बनना था उनका इंट्रेस्ट सरकार चलाने में नहीं है. ये बहुत मुमकिन है कि उनको मालूम ही नहीं हो कि वहां क्या हो रहा है. कल तक मेरा ख्याल है कि उनको ये भी नहीं मालूम था कि मसूद अजहर पाकिस्तान में हैं.


प्रश्नः इमरान खान जो बातें मीडिया के सामने कह रहे थे वो उनके दिल की बात नहीं थी? स्क्रिप्टेड थी?


उत्तरः देखिए ये जो सात मिनट इतने दिनों के बाद बोले हैं. क्योंकि 13 तारीख को शाम में कुछ नहीं बोले 14 तारीख को कुछ नहीं बोले. जहां हम कश्मीर में किसी कश्मीर में मासूम से ज्यादती होती है तो आवाज उठाते हैं उसी तरह से कश्मीर में कोई और घटना होती है तो ये इंसानियत का तकाजा है कि इसकी निंदा करें. जाहिर है हमसब का दिल दुखा. लेकिन किसी ने कुछ नहीं बोला. मैंने मुंबई मिरर में एक आर्टिकल लिखा और मैंने कहा कि इनकी खामोशी कुछ कह रही है. उसके बाद मंगलवार को उन्होंने बोला उसमें उनकी टोन में घबराहट थी. लेकिन कभी भी उन्होंने दुख नहीं जाताया. ये ठीक नहीं है. जो उनका टोन है ये जो डायलॉग की पेशकश है जो बहुत ऊपर से आई है.


प्रश्नः भारत किससे बात करे? उस आदमी से जिसके बारे में आप कह रही हैं कि वह घुटने टेक चुका है.


उत्तरः अब बातचीत का दौर गुजर चुका है. अब एक्शन की जरूरत है. पुलवामा में जो घटना घटी है वैसी घटना रोज पाकिस्तान में घटती है लेकिन क्यों ऐसा होता है क्योंकि यहां एक्सट्रिमिस्ट की संख्या बढ़ रही है. कंट्रोल न करने के कारण इस तरह की घटनाएं बढ़ रही है. जिसे कुर्सी पर बिठाया गया है उसे मालूम ही नहीं है कि मसूद अजहर पाकिस्तान में है.


प्रश्नः इमरान खान भारत से जब युद्ध की धमकी की बात करते हैं तो आपको हंसी आती है या आपको डर लगता है?


उत्तरः देखिए मुझे तरस आता है. इमरान पर तरस आता है. उनकी मजबूरी पर तरस आता है. पाकिस्तान की जनता पर तरस आता है. ये बात आप सुने और देखें तो पता चलेगा कि मिलिट्री की ओर से कही गई बात है और अगर यह ये न कहें तो क्या कहें. अगर भारत जंग की बात करेगा तो ऐसा नहीं कि हम कहेंगे कि पाकिस्तान घुटने टेक देगा. हम यही कहेंगे कि हम भी जवाब देंगें. लेकिन ये बता दोनों तरफ से गलत है कि घटना होने के बाद भी दोनों तरफ से कोई एक्शन नहीं लिया गया जिससे की लोगों में भरोसा बने.


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