पुणे: 2016 में कैंसर ने छीन लिया था बेटे को, अब विज्ञान ने किया ये चमत्कार
महाराष्ट्र के पुणे से एक अद्भुत मामला सामने आया है. एक युवक की जान कैंसर की वजह से चली गई लेकिन उसके स्टोर किए सीमन से दो बच्चे पैदा हुए हैं. उसका परिवार अब बहुत खुश है और डॉक्टरों का शुक्रिया अदा कर रहा है.
नई दिल्ली: महाराष्ट्र के पुणे से एक अद्भुत मामला सामने आया है. एक युवक की जान कैंसर की वजह से चली गई लेकिन उसके स्टोर किए सीमन से दो बच्चे पैदा हुए हैं. उसका परिवार अब बहुत खुश है और डॉक्टरों का शुक्रिया अदा कर रहा है.
हर मां की तरह राजश्री भी अपने बेटे प्रथमेश बहुत प्यार करती थीं. राजश्री पाटिल के 27 साल के बेटे प्रथमेश की मौत ब्रेन कैंसर की वजह से हो गई थी. पाटिल को अपने बेटे से इतना ज्यादा लगाव था कि वे किसी भी कीमत पर अपने बेटे को वापस चाहती थीं.
अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक राजश्री पाटिल ने अपने बेटे का सीमेन स्टोर करा दिया था. डॉक्टरों की मदद से सेरोगेसी के जरिए उसी सीमेन से जुड़वां बच्चे एक लड़का और एक लड़की उन्हें मिले हैं. इन बच्चों को उन्हीं की एक रिश्तेदार ने जन्म दिया है.
पाटिल को इन बच्चों में अपना बेटा प्रथमेश दिखाई देता है. राजश्री पाटिल ने बच्चों को भगवान का उपहार बताया है और लड़के का नाम प्रथमेश रखा है. उन्होंने लड़की का नाम प्रीषा रखा है.
पाटिल ने कहा, "मुझे अपने बेटे से बेहद लगाव था, वो पढ़ाई में बहुत तेज था. वह जर्मनी के इंजीनियरिंग कॉलेज में मास्टर डिग्री की पढ़ाई करने के लिए गया हुआ था. जहां वो डॉक्टर से अपने ब्रेन कैंसर का इलाज करा रहा था. डॉक्टर ने प्रथमेश को कीमोथेरेपी के इलाज से पहले उसे अपने सीमेन को संरक्षित करने के लिए कहा था."
प्रथमेश की मां कहती हैं कि उन्हें जरा सा भी एहसास नहीं था कि मेरा बेटा वापिस नहीं आएगा. प्रथमेश की एक बहन भी है जिनका नाम ज्ञानश्री है.
राजश्री आगे कहती हैं, "मुझे पीरियड्स होने बंद हो गएं थे इसलिए मैं प्रेगनेंट नहीं हो सकती थी. फिर एक शादी-शुदा रिश्तेदार को मैंने सेरोगेट मां बनने के लिए कहा और उन्होंने मुझे तोहफे में दो जुड़वा बच्चे दिए."
उन्होंने कहा कि प्रथमेश 'सिंहगढ़ कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग' से इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के बाद साल 2010 में जर्मनी चला गया था. साल 2013 में ब्रेन कैंसर का इलाज हुआ तो उसने अपनी आंखें खो दी. इसलिए हमने उसे भारत वापस बुलाकर मुंबई के हिंदुजा अस्पताल में उसका इलाज करवाया."
साल 2016 में फिर से उसे कैंसर हुआ और प्रथमेश इस बार बहुत ज्यादा बीमार हो गया था. 2016 में ही 3 सितंबर को उसकी मृत्यु हो गई थी. उन्होंने कहा, "मेरी बेटी ने मुझसे बात करना बंद कर दिया था. मैं सिर्फ अपने बेटे की तस्वीर को लेकर घूमती रहती थी और उसकी तस्वीर को खाने के वक्त भी मैं अपने साथ रखती थी. क्योंकि मेरे पास उसके तस्वीर के अलावा कोई भी जीवित हिस्सा नहीं था."