पुणेः भारत के दवा महानियंत्रक (डीसीजीआई) ने पुणे की जेनोवा बायोफार्मास्यूटिकल्स द्वारा विकसित कोविड-19 के वैक्सीन का मानव पर पहले और दूसरे चरण का क्लीनिकल परीक्षण करने की सशर्त मंजूरी दे दी है. दवा कंपनी जेनोवा अमेरिकी कंपनी एचडीटी बायोटेक कॉरपोरेशन के सहयोग से कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए वैक्सीन विकसित कर रही है.


दवा कंपनी ने पहले और दूसरे चरण के परीक्षण के लिए अनुमति मांगी थी. कोविड-19 के संबंध में विषय के विशेषज्ञों की कमेटी (एसईसी) की सिफारिशों को डीसीजीआई ने मंजूरी दे दी है. एसईसी की सिफारिश में कहा गया, ‘‘विस्तृत विचार-विमर्श के बाद कमेटी ने पहले और दूसरे चरण के क्लीनिकल परीक्षण की मंजूरी दी है. पहले चरण के परीक्षण के बाद कंपनी को अध्ययन के आंकड़ों को पेश करना होगा.’’


डीसीजीआई से की गई थी सिफारिश 


इससे पहले सेंट्रल ड्रग स्टैंडर्ड कंट्रोल आर्गेनाइजेशन की सब्जेक्ट एक्सपर्ट कमिटी ने डाटा के आधार पर अपनी सिफारिश डीसीजीआई यानी ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया से की थी. इस सिफारिश के आधार पर डीसीजीआई ने लाइसेंस का फैसला लिया है. इससे पहले हुई बैठक में इन तीनों कंपनी के इमरजेंसी यूज ऑथोराइजेशन पर फैसला लेने के लिए और सेफ्टी, इम्यूनोजेनिसिटी और एफीकेसी से डाटा मांगा गया था.


भारत बायोटेक से भी मांगी गई थी और जानकारी


बता दें कि इस बारे में भारत बायोटेक से भी और जानकारी मांगा गई थी. भारत बायोटेक से कहा गया था कि अभी चल रहे क्लीनिकल ट्रायल एफीकेसी और सेफ्टी डाटा कमेटी के सामने प्रस्तुत करें. इससे पहले हुई बैठक में सीरम इंस्टीट्यूट ने सुरक्षा डाटा जमा किया था. विस्तृत विचार-विमर्श के बाद, समिति ने सिफारिश की थी कि सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया को समीक्षा के लिए जानकारी देने के लिए कहा गया था.


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