नई दिल्लीः मस्जिदों में महिलाओं के प्रवेश और नमाज अदा करने के मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट आज सुनवाई करेगा. महिलाओं को नमाज अदा करने को लेकर पुणे के एक दम्पति ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है. याचिका के जरिए दम्पति ने अदालत से गुहार लगाई है कि महिलाओं को भी मस्जिदों में नमाज अदा करने की इजाजत मिलनी चाहिए.


पत्नी यासमीन जुबेर अहमद पीरजादा और पति जुबैर अहमद नजीर अहमद पीरजादा ने कोर्ट में कहा, ''इस्लामिक धर्म ग्रंथ कुरान और हदीस के मुताबिक ऐसा कुछ भी नहीं है कि मस्जिदों में नमाज अदा करने के लिए लिंग के आधार पर प्रवेश मिले.''


याचिका में कहा गया है, ''अगर मस्जिदों में महिलाओं को प्रवेश नहीं मिलता है तो मौलिक अधिकार 14, 15, 21 और 25 का उल्लंघन है. इस तरह की कोई भी प्रथा महिलाओं की गरिमा के लिए ठीक नहीं है.'' याचिका में कहा कि इससे बहुत महिलाएं प्रभावित हुए हैं लेकिन इस स्थिति में नहीं हैं कि कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकें.


याचिका में इस बात का भी जिक्र किया गया है, ''मस्जिद में प्रवेश पर प्रतिबंध संविधान के तहत संवैधानिक और मौलिक अधिकार का उल्लंघन है क्योंकि इसमें जाति, लिंग और धर्म के आधार पर कोई भेदभाव नहीं किया जा सकता है.''


कोर्ट में कहा गया है, ''मस्जिद में महिलाओं के प्रवेश को लेकर अलग अलग राय है. कनाडा के इस्लामी धर्म गुरु के मुताबिक लोगों की अलग-अलग राय है. एक तरफ कुछ लोग कहते हैं कि इस्लाम में लिंग भेद मायने नहीं रखता तो दूसरी तरफ सऊदी अरब में एक इस्लामी धर्म गुरु के मुताबिक महिलाओं को मस्जिद जाने पर रोक लगा दी गई है.''


इस समय जमात-ए-इस्लामी और मुजाहिद संप्रदायों के बीच मस्जिदों में नमाज अदा करने की अनुमती है. जबकि सुन्नी गुटों के मुताबिक महिलाओं को मस्जिद में नमाज अदा करने से रोक दिया जाता है. जबकि मुसलमानों की सबसे मुकद्दस स्थल मक्का-मदीना में महिलाओं के प्रवेश पर कोई रोक नहीं है.


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