Porsche Pune Accident: महाराष्ट्र के पुणे में शनिवार रात हुई घातक दुर्घटना के मामले में कोर्ट ने तीन आरोपियों को पुलिस कस्टडी में भेज दिया है. इनमें जितेश शेवनी, जयेश बोनकर और नाबालिक आरोपी के पिता  विशाल अग्रवाल शामिल हैं. अब तक इस मामले में 6 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है. तीन आरोपियों को कल 24 मई तक पुलिस कस्टडी में भेजा गया था और आज अन्य तीन लोगों को 24 मई तक पुलिस कस्टडी में भेजा गया है. 


मामले में पुलिस ने नाबालिग पर धारा 185 motor vehicle Act के तहत मामला दर्ज किया है. इसके साथ ही उसे फिर से जुवेनाइल कोर्ट में पेश किया. नाबालिक आरोपी पर वयस्क के तहत मामला चलाया जाए या नहीं इसको लेकर कोर्ट फैसला देगा. पुलिस ने शराब पीने की धारा इस केस में जोड़ी है, जिसके सीसीटीवी फुटेज और पब को दिए बिल भी कोर्ट में पेश किए. पुलिस का कहना है कि नाबालिग का केस निर्भया केस की तरह चलाया जाए,आरोपी की उम्र 16 वर्ष के ऊपर है,उसकी आयु 17 वर्ष 8 महीने है.


जमानत खारिज करते हुए 24 मई तक न्यायिक हिरासत में भेजा


वहीं, वकील असीम सरोदे ने कहा, "हस्तक्षेपकर्ता की ओर से, हमने आरोपी के पिता को जमानत देने के खिलाफ तर्क दिया है. जिस आधार पर वह जमानत मांग रहा था, उसे अदालत ने खारिज कर दिया और उसे 24 मई तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया. उन्होंने यह तर्क पेश करने की कोशिश की कि उन्होंने अपने आरोपी बेटे के साथ एक ड्राइवर भेजा था. तो फिर ड्राइवर कार क्यों नहीं चला रहा था और बिना लाइसेंस वाला व्यक्ति कार क्यों चला रहा था. मैं स्पष्टता से कहना चाहता हूं कि गिरोह के सदस्यों के साथ उनके संबंध या हत्यारे के रूप में उनकी स्थिति का इस मामले से कोई लेना-देना नहीं है."


'मामले में दो एफआईआर दर्ज क्यों की गईं?'


उन्होंने आगे कहा, "यह मामला पूरे देश में खूब चर्चा में है और पिता की गलती है क्योंकि वह अपने नाबालिग बेटे की रक्षा करने में विफल रहा. एफआईआर में उल्लिखित उचित प्रावधानों का अभाव है. पुलिस ने अपराध दर्ज कर दो एफआईआर क्यों दर्ज की, यह सवाल है और इसे हाई कोर्ट में भी ले जाया जा सकता है.  इसमें शराबबंदी कानून और उसके प्रावधानों का कोई जिक्र नहीं है और एफआईआर में पूरी तरह से हेराफेरी की गई है. हो सकता है कि पुलिस पर किसी ने दबाव डाला हो और इसीलिए वे किसी स्तर पर अदालत को गुमराह करने की कोशिश कर रहे हों, लेकिन अब सामाजिक दबाव पुलिस को कानून के रास्ते पर चलने के लिए मजबूर कर रहा है."


इससे पहले, पुणे में कथित तौर पर अपनी महंगी कार से मोटरसाइकिल को टक्कर मारने वाले 17 वर्षीय लड़के को 7,500 रुपये के मुचलके और उसके दादा की ओर से उसे बुरी संगत से दूर रखने के आश्वासन पर जमानत दी गई थी. रविवार सुबह पुणे के कल्याणी नगर इलाके में जिस पोर्श कार से हादसा हुआ था उसे कथित तौर पर 17 वर्षीय किशोर चला रहा था. हादसे में दो लोगों की मौत हो गई. पुलिस ने नाबालिग किशोर के बारे में दावा किया कि वह नशे में था.


नाबालिग के दादा ने दिया आश्वासन


आरोपी किशोर के पिता एक रियल एस्टेट डेवलपर हैं. आरोपी को बाद में किशोर न्याय बोर्ड के समक्ष पेश किया गया और कुछ समय बाद उसे जमानत दे दी गई. पुलिस के अनुसार, शनिवार और रविवार की मध्यरात्रि किशोर अपने दोस्तों के साथ रात साढ़े नौ से एक बजे के बीच दो होटलों में गया था और वहां उसने कथित तौर पर शराब पी थी. रविवार को किशोर न्याय बोर्ड के पारित आदेश में कहा गया, 'आरोपी किशोर के दादा ने आश्वासन दिया है कि वह बच्चे को किसी भी बुरी संगत से दूर रखेंगे तथा उसकी पढ़ाई पर या कोई ऐसा व्यावसायिक पाठ्यक्रम कराने पर ध्यान देंगे जो उसके कॅरियर के लिए उपयोगी हो. वह उस पर लगाई गई शर्त का पालन करने के लिए तैयार हैं इसलिए किशोर को जमानत पर रिहा करना उचित है.'


आदेश पारित करते हुए बोर्ड ने यह भी कहा कि किशोर को 7,500 रुपये के निजी मुचलके पर जमानत पर रिहा किया जाता है और यह शर्त है कि उसके माता-पिता उसकी देखभाल करेंगे और यह सुनिश्चित करें कि भविष्य में कभी भी किसी अपराध में वह शामिल ना हो. कोर्ट ने उसे क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय जाकर यातायात नियमों का अध्ययन करने और 15 दिनों के भीतर बोर्ड के समक्ष एक प्रस्तुतिकरण देने का भी निर्देश दिया.  


पुलिस ने माना जघन्य अपराध


आदेश में कहा गया, 'किशोर सड़क दुर्घटनाओं और उनके समाधान विषय पर 300 शब्दों का निबंध लिखेगा.' पुणे पुलिस ने जमानत आदेश को चुनौती देते हुए सेशन कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था और लड़के के साथ एक वयस्क के रूप में व्यवहार करने की अनुमति मांगी थी क्योंकि उसने जो अपराध किया है वह ‘जघन्य’ है. हालांकि अदालत ने पुलिस से कहा कि वह आदेश की समीक्षा के लिए किशोर न्याय बोर्ड के समक्ष याचिका दायर करे.


महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने मंगलवार को कहा कि कार दुर्घटना मामले से निपटने में पुलिस की कोई लापरवाही सामने नहीं आई है और उन्होंने मामले की जांच कर रहे पुलिसकर्मियों पर किसी तरह का दबाव होने से भी इनकार किया था.


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