पुणे: पुणे के विश्वशांति गुरुकुल स्कूल ने छात्राओं के लिए तुगलकी फरमान जारी किया था. स्कूल के अजीबोगरीब फरमान से छात्र और बच्चों के पैरेंट्स सकते में आ गये थे. स्कूल ने छात्राओं के लिए फरमान जारी करके कहा था कि वे सिर्फ सफेद रंग का ही इनरवियर पहनकर स्कूल आएं. इतना ही नहीं एमआईटी स्कूल ने स्टूडेंट्स के लिए पानी पीने से लेकर टॉयलेट इस्तेमाल करने तक के कड़े नियम लागू किए थे. लेकिन अब भारी विरोध के बाद एमआईटी स्कूल ने वह आदेश वापस ले लिया जिसमें छात्राओं को एक विशेष रंग के अंदरूनी कपड़े पहनने को कहा गया था.


बच्चों के मां-बाप स्कूल के फरमान को आपत्तिजनक बताकर लगातार विरोध कर रहे हैं. स्कूल विरोध करने वालों को कार्रवाई की चेतावनी देने में जुटा है. एमआईटी स्कूल ने बच्चों की स्कूल की डायरी में नियम-कानून की लंबी-चौड़ी लिस्ट लिखी है. जिसमें छात्राओं के इनरवियर का रंग सफेद और स्किन कलर का नहीं होने पर जुर्माने का प्रावधान है. छात्राओं को कान की बालियों का साइज तक बताया गया है. साथ ही स्कूल के टॉयलेट एक तय समय पर ही इस्तेमाल कर सकते हैं. तय समय के बाद टॉयलेट जाने पर 500 रुपए जुर्माना लगेगा. तय समय में ही बच्चे पानी पीने जा सकते हैं, समय के बाहर पानी पीने पर जुर्माना लगेगा. पीने का पानी और बिजली बर्बाद करने पर भी 500 रुपये का जुर्माना है.


अंग्रेजी में बात करना अनिवार्य किया गया है, बात नहीं करने पर फुटबॉल मैच की तरह ग्रीन, येलो और रेड कार्ड जारी होगा. सभी पैरेंट्स को IPCके तहत एफिडेविट साइन करना अनिवार्य किया गया है.


15 जून को स्कूल का नया शैक्षणिक सत्र शुरू होने के बाद 2 जुलाई को ये तुगलकी फरमान वाली स्कूली डायरी दी गई. दस कार्ड जारी होने के बाद छात्र को स्कूल से निकाल दिया जाएगा. जिससे अभिभावक गुस्से में नजर आ रहे हैं.


पैरेंट्स के गुस्से पर स्कूल की प्रिंसिपल नियम-कानून का हवाला देकर सफाई दे रही हैं. मामला तूल पकड़ने और पैरेंट्स के गुस्से को देखते हुए महाराष्ट्र के शिक्षा मंत्री विनोद तावड़े ने जांच के बाद स्कूल पर कड़ी कार्रवाई का भरोसा दिया है. उन्होंने कहा, पुणे शिक्षा विभाग के जॉइंट डायरेक्टर ने जांच शुरू कर दी है. जांच के बाद ही साफ हो पाएगा कि तालिबानी फरमान सुनाने वाले एमआईटी स्कूल पर तालेबंदी होगी या स्कूल की मनमानी ऐसे ही चलती रहेगी.