Punjab Elections: विधानसभा चुनाव के एलान से ठीक पहले पंजाब की कांग्रेस सरकार ने ड्रग्स मामले में बड़ी कार्रवाई करते हुए अकाली दल के नेता विक्रम सिंह मजीठिया पर मामला दर्ज कर लिया है. इससे ड्रग्स का मुद्दा नए सिरे से पंजाब की राजनीति के केंद्र में आ गया है. बड़ी बात यह है कि यह कार्रवाई कांग्रेस की सोची समझी रणनीति है जिसके जरिए एक तीर से तीन निशाने लगाने की कोशिश की गई है.
अकाली दल के बड़े नेता और बादल परिवार के बेहद करीबी रिश्तेदार बिक्रम सिंह मजीठिया के ऊपर विरोधी अकाली सरकार के दौरान ड्रग्स के कारोबार में मिलीभगत का आरोप लगाते रहे हैं. पिछले चुनाव में यह बड़ा मुद्दा था और मजीठिया आम आदमी पार्टी से लेकर कांग्रेस से सीधे निशाने पर थे. लेकिन सरकार बदलने के बावजूद उनपर कोई कार्रवाई नहीं हुई. इसको लेकर कांग्रेस के बाहर और अंदर दोतरफा आलोचना झेल रही थी. लेकिन अब चन्नी सरकार ने मजीठिया के खिलाफ एफआईआर दर्ज करा कर इस मुद्दे पर आक्रामक रणनीति बनाई है.
पहला निशाना है आम आदमी पार्टी और अरविंद केजरीवाल. पंजाब में कांग्रेस को सीधी चुनौती अरविंद केजरीवाल से मिल रही है. मजीठिया पर कार्रवाई कर कांग्रेस पंजाब के लोगों को याद दिलाएगी कि केजरीवाल ने मजीठिया से माफी मांगी थी. दरअसल बीते विधानसभा चुनाव में मजीठिया को लेकर केजरीवाल के तेवर बेहद तीखे थे.
केजरीवाल ने मजीठिया पर ड्रग्स का धंधा करने से जुड़े गंभीर आरोप लगाए थे, जिसके जवाब में मजीठिया ने अरविंद केजरीवाल पर मानहानि का मुकदमा कर दिया. बाद में मामला खत्म करने के लिए केजरीवाल ने अदालत में मजीठिया से माफी मांगी. केजरीवाल के इस माफीनामे को कांग्रेस इस चुनाव में भुनाने की कोशिश करेगी.
कांग्रेस का तर्क होगा कि उसकी सरकार ने मजीठिया पर एफआईआर की जबकि केजरीवाल ने माफी मांग कर उन्हें क्लीन चिट दे दी. हालांकि कांग्रेस पर यह पलटवार किया जा सकता है कि मजीठिया पर कार्रवाई के लिए पांच सालों का इंतजार क्यों किया गया?
इस सवाल का जवाब यानी बचाव कांग्रेस का दूसरा निशाना है. यानी पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह. कैप्टन बीजेपी के साथ मिलकर चुनाव लड़ने वाले हैं. जाहिर है वो कांग्रेस के निशाने पर हैं. कैप्टन के कार्यकाल के दौरान मजीठिया पर कार्रवाई नहीं होने का ठीकरा कांग्रेस कैप्टन पर फोड़ेगी और उनके बादलों से रिश्ते का हवाला देगी. कैप्टन ने मजिठिया के पक्ष में बयान देकर कांग्रेस का काम आसान ही कर दिया है.
तीसरा निशाना है अकाली दल. बिक्रम सिंह मजीठिया अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल के साले हैं. इस मामले में मजीठिया के जरिए उनतक भी तार जोड़ने और अकाली दल को सियासी तौर पर घेरने की कोशिश की जा सकती है.
कांग्रेस सूत्रों के संकेतों पर विश्वास करें तो आने वाले दिनों में मजीठिया को गिरफ्तार भी किया किया जा सकता है. इस एक तीर से तीन निशाने की कांग्रेस की रणनीति तो आप जान ही चुके हैं. इसे पंजाब कांग्रेस के अंदर का संतुलन साधने की कोशिश के तौर पर भी देखा जा सकता है.
तमाम मामलों को लेकर प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू रह-रह कर चन्नी सरकार को निशाने में लेते रहते हैं. सबसे अहम मुद्दों में से एक ड्रग्स मामले में बड़ी कार्रवाई कर मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने अपना पलड़ा मजबूत किया है. हालांकि अभी उन्हें कई और अहम मसले हल करने हैं.
कुल मिलाकर मजीठिया पर एक्शन कांग्रेस का एक ऐसा दांव है जो देर से तो चला गया है लेकिन क्या दुरुस्त चला गया है यह आने वाला वक्त बताएगा.