चुनाव आयोग का ऐलान, जालंधर वेस्ट सीट पर 10 जुलाई को होगा उपचुनाव, AAP विधायक ने दिया था इस्तीफा
Jalandhar West byelection: 2022 में हुए विधानसभा चुनाव में शीतल अंगुराल आम आदमी पार्टी की टिकट पर जालंधर वेस्ट से जीतकर विधायक बने थे. मगर, लोकसभा चुनाव से पहले 27 मार्च को बीजेपी में शामिल हो गए थे.
Jalandhar West byelection: चुनाव आयोग ने सोमवार (10 जून) को ऐलान किया है कि जालंधर पश्चिम विधानसभा उपचुनाव 10 जुलाई को होगा और इस उप चुनाव के नतीजे 13 जुलाई को घोषित किए जाएंगे. दरअसल, ये विधानसभा सीट आम आदमी पार्टी के विधायक शीतल अंगुराल के 28 मार्च को इस्तीफा देने के बाद खाली हुई थी. बता दें कि, पंजाब विधानसभा अध्यक्ष कुलतार सिंह संधवान ने 30 मई को उनका इस्तीफा स्वीकार कर लिया था.
वहीं, चुनाव के लिए अधिसूचना 14 जून को जारी की जाएगी, नामांकन पत्र दाखिल करने की अंतिम तिथि 21 जून है. जबकि, 24 जून को चुनाव पत्रों की जांच होगी और नामांकन पत्र वापस लेने की अंतिम तिथि 26 जून है. ऐसे में उपचुनाव के तहत मतदान 10 जुलाई को होगा और मतगणना 13 जुलाई को होगी. वहीं, जालंधर उपचुनाव सभी पार्टियों के प्रतिष्ठा की लड़ाई बनने जा रहा है, क्योंकि आप अपनी सीट बरकरार रखने के लिए उम्मीदवार की तलाश करेगी, जबकि बीजेपी एससी आरक्षित सीट पर जीतने की कोशिश करेगी.
शीतल अंगुराल ने AAP विधायक पद से दिया था इस्तीफा
हिन्दुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, पूर्व आम आदमी पार्टी के सांसद और बाद में जालंधर से बीजेपी के उम्मीदवार रहे सुशील कुमार रिंकू के साथ 27 मार्च को बीजेपी में शामिल होने के एक दिन बाद शीतल अंगुराल ने आप विधायक पद से इस्तीफा दे दिया था. इस दौरान विधानसभा सचिवालय की ओर से 3 जून को जारी अधिसूचना में कहा गया है, "विधायक शीतल अंगुराल के इस्तीफे को स्वीकार किए जाने के बाद पंजाब विधानसभा में 34-जालंधर पश्चिम (एससी) विधानसभा क्षेत्र की सीट 30 मई से खाली पड़ी हुई है.
ऐसे में अंगुराल के इस्तीफे के साथ ही फरवरी 2022 में 117 सदस्यीय विधानसभा में आम आदमी पार्टी के निर्वाचित विधायकों की संख्या 92 से घटकर 91 रह गई.
दलबदल विरोधी कानून के तहत शीतल अंगुराल पर हुई कार्रवाई
हालांकि, बीते 31 मई को शीतल अंगुराल ने पंजाब विधानसभा अध्यक्ष कुलतार सिंह संधवान के सामने विधानसभा से इस्तीफा वापस लेने की अनुमति के लिए आवेदन भी दिया था, लेकिन संधवान ने यह कहते हुए आवेदन खारिज कर दिया था कि उनका इस्तीफा पहले ही स्वीकार कर लिया गया है.
अंगुराल के खिलाफ कार्रवाई संविधान की 10वीं अनुसूची के अनुसार की गई, जिसे दलबदल विरोधी कानून के रूप में भी जाना जाता है, जिसके तहत किसी भी पार्टी से जुड़ा सदन का सदस्य अयोग्य घोषित कर दिया जाएगा यदि वह स्वेच्छा से अपनी पार्टी की सदस्यता छोड़ देता है.
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