नई दिल्ली: पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ बुधवार को दिल्ली में धरना दिया और केंद्र सरकार पर उनके राज्य के साथ “सौतेला” व्यवहार करने का आरोप लगाया. इस मौके पर कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू भी मौजूद रहे. धरना में सिद्धू ने कहा कि राज्य के लोग अपने ‘‘गौरव और पगड़ी’’ पर वार बर्दाश्त नहीं करेंगे.


मुख्यमंत्री ने दावा किया कि नए कृषि कानूनों के खिलाफ पंजाब में किसानों के आंदोलन का राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए गंभीर प्रभाव पड़ सकता है और चीन एवं पाकिस्तान इस सीमावर्ती राज्य में शांति भंग करने का प्रयास कर रहे हैं.


उन्होंने कहा कि वह अपने राज्य के किसानों को ‘बचाने’ का प्रयास कर रहे हैं क्योंकि केंद्र उनकी जीविका के खिलवाड़ कर रही है. पहले यह धरना राजघाट पर प्रस्तावित था, लेकिन वहां धारा 144 लगने के कारण इसे जंतर-मंतर पर किया गया.


धरने में पंजाब के मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘अपको एक व्यवस्था की जगह दूसरी व्यवस्था लाकर क्या मिला और यह दूसरी व्यवस्था पंजाब में नहीं चल सकती. किसानों से खरीद के लिए किसी को कोई रोक नहीं रहा है, लेकिन आप मौजूदा व्यवस्था को बाधित मत करिए.’’


उन्होंने यह भी कहा, ‘‘मेरे मंत्री किसान संगठनों से बातचीत कर रहे हैं और उन्हें मनाने का प्रयास कर रहे हैं. दो चीजों के साथ किसी शासक को छेड़छाड़ नहीं करनी चाहिए. पहला धर्म और दूसरी जीविका.’’


अमरिंदर सिंह के नेतृत्व में पंजाब से कांग्रेस के सभी विधायकों और सांसदों ने यहां जंतर मंतर पर धरना दिया. इस धरने में लोक इंसाफ पार्टी के विधायक सिमरनजीत सिंह बैंस, पंजाबी एकता पार्टी के विधायक सुखपाल खैरा और शिरोमणि अकाली दल (डेमोक्रेटिक) के विधायक परमिंदर सिंह ढींढसा शामिल हुए.


पंजाब के मुख्यमंत्री ने कहा कि आम आदमी पार्टी पर धरने में शामिल नहीं होने के लिए ‘दबाव बनाया’ गया क्योंकि दिल्ली में उनकी सरकार ने किसानों को बचाने के लिए संशोधन विधेयक पारित नहीं किये.


कांग्रेस सहित कई विपक्षी पार्टियों का आरोप है कि केंद्र द्वारा हाल ही में लाए गए कृषि कानून किसानों के हितों के विरोधी हैं और कार्पोरेट घरानों के हित में हैं. हालांकि, केंद्र ने जोर दिया है कि नए कानून किसानों के हित में हैं.


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