नई दिल्ली: 1984 सिख दंगों को लेकर राहुल गांधी के बयानों पर बीजेपी और अकाली दल हमलावर है, वहीं पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने राहुल का बचाव करते हुए उनके दावों को सही ठहराया है. राहुल गांधी ने पिछले दिनों लंदन में एक कार्यक्रम में कहा था कि दंगों में कांग्रेस शामिल नहीं थी. हालांकि उन्होंने दंगों में शामिल लोगों को सजा देने की बात जरूर कही.
पंजाब के मुख्यमंत्री ने कहा, ''सिख दंगे तब हुए जब इंदिरा जी की हत्या की गई, उस वक्त राजीव गांधी बंगाल में एयरपोर्ट पर थे. दंगों में कांग्रेस का कोई रोल नहीं था. हां कुछ लोग जरूर शामिल थे. उनका नाम भी मैं ले सकता हूं. उनमें सज्जन कुमार, धरमदास शास्त्री, अर्जुन दास और दो अन्य लोग शामिल थे.''
इस पर पलटवार करते हुए पंजाब के पूर्व उप-मुख्यमंत्री और अकाली नेता सुखबीर सिंह बादल ने कहा, ''उन्होंने पांच नाम लिए लेकिन टाइटलर (जगदीश टाइटलर) के लिए उनके मन में सॉफ्ट कॉर्नर है. इसलिए उनका नाम नहीं लिया.'' वहीं केंद्रीय मंत्री हरसिमरत सिंह कौर ने कैप्टन के बयान पर कहा कि अमरिंदर सिंह को शर्म आनी चाहिए, एक सिख होने के नाते उन्हें चुल्लू भर पानी में डूब मरना चाहिए.
अमरिंदर सिंह ने पिछले दिनों कहा था, "कुछ लोगों की करतूतों के लिए समूची पार्टी को जिम्मेदार ठहराना मूर्खतापूर्ण है और यह सुखबीर बादल की राजनीतिक अपरिपक्वता दर्शाता है." अमरिंदर ने शिरोमणि अकाली दल (शिअद) प्रमुख को उनके इस बयान को लेकर फटकारा कि 1984 के दंगों के अपराध में राहुल 'भागीदार' थे. उन्होंने कहा कि ऑपरेशन ब्लूस्टार के समय राहुल स्कूल में पढ़ते थे.
राहुल ने क्या कहा था?
पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद हुए सिख दंगों पर पिछले दिनों कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने लंदन में खुलकर राय रखी. उन्होंने कहा कि 1984 के दंगों में कांग्रेस पार्टी शामिल नहीं थी. हालांकि उन्होंने इसपर जोर दिया कि यदि किसी के खिलाफ हिंसा होती है, तो कानून के मुताबिक दोषियों को दंडित किया जाना चाहिए..और मैं इसका 100 फीसदी समर्थन करूंगा.
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गांधी ने कहा था, "मेरे मन में इस बात को लेकर कोई भ्रम नहीं है. यह एक त्रासदी थी, यह एक पीड़ादायक अनुभव था. आप कहते हैं कि उसमें कांग्रेस पार्टी शामिल थी..मैं इससे सहमत नहीं हूं. निश्चित रूप से हिंसा हुई थी, निश्चित रूप से वह त्रासदी थी."
बीजेपी ने दावा किया है कि इंदिरा गांधी की हत्या के बाद दिल्ली में 1984 में लगभग 3,000 सिख मारे गए थे. उस समय के गृहमंत्री ने कहा था कि मात्र 600 लोगों की मौत हुई, लेकिन वास्तविक सूची संसद में अटल बिहारी वाजपेयी जी ने दी थी कि नरसंहार में 3,000 लोग मारे गए थे. उसके बाद सरकार को दिल्ली में लगभग 2,700 मौतों की बात स्वीकार करनी पड़ी थी.
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