नई दिल्ली: किसानों के प्रदर्शन के मुद्दे पर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के बीच वार-पलटवार का दौर शुरू हो गया है.
पंजाब के मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) ने कहा, ''कैप्टन अमरिंदर सिंह ने आज राजनीति करने के लिए केजरीवाल सरकार की निंदा की. किसानों के हितों की रक्षा करने में असफलता को छिपाने के लिए दोहरा रवैया अपनाया है.''
सिंह ने केजरीवाल के इस बयान को बकवास करार दिया कि राज्य केंद्रीय कानून के खिलाफ ‘असहाय’ हैं और कहा कि यह स्पष्ट है कि आप नेता इन ‘कठोर’ कानूनों के खिलाफ संघर्ष भी नहीं करना चाहते हैं.
उन्होंने केजरीवाल पर तीन में से एक कानून के लिए अधिसूचना जारी करके किसानों के संघर्ष को ‘कमजोर’ करने का आरोप लगाया और याद दिलाया कि पंजाब विधानसभा ने इन कानूनों को निष्प्रभावी बनाने की कोशिश के तहत अपने विधेयक पारित किये हैं.
पंजाब के मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘डरकर केंद्रीय कानूनों की अधिसूचना जारी करने के बजाय केजरीवाल उनका मुकाबला करने के लिए कोशिश कर सकते थे और किसानों के अधिकारों की रक्षा कर सकते थे.’’
उन्होंने आरोप लगाया कि यह स्पष्ट हो गया है कि यह ‘डरपोक व्यक्ति’, जिसका दोहरा मापदंड बार-बार बेनकाब हो गया, अब इस मुद्दे पर पूरी तरह घिर गया है.
इससे पहले केजरीवाल ने सिंह पर ‘गंदी राजनीति’ करने का आरोप लगाया था और कहा था कि वह केंद्रीय एजेंसियों के दबाव में हैं.
मुख्यमंत्री केजरीवाल ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि वह दिल्ली में तीन कृषि कानून ‘‘पारित किए जाने’’ का उनपर आरोप लगाकर ‘‘बीजेपी की भाषा’’ बोल रहे हैं.
केजरीवाल ने कहा, ‘‘कैप्टन साहब क्या आप मेरे खिलाफ आरोप लगा रहे हैं और भाजपा की भाषा बोल रहे हैं. क्या आपके परिवार के सदस्यों पर ईडी के मामलों का दबाव है और नोटिस भेजे जा रहे हैं?’’
उन्होंने कहा कि तीनों कृषि कानून राष्ट्रपति के हस्ताक्षर से देशभर में लागू हुए और राज्य सरकार उन्हें नहीं रोक सकती. दिल्ली सरकार ने तीन में से एक कानून को अधिसूचित किया है.
केजरीवाल ने कहा, ‘‘पंजाब के मुख्यमंत्री ने मुझ पर तीन काले कानून पारित करने का आरोप लगाया है. वह संकट के इस समय में ऐसी घटिया राजनीति कैसे कर सकते हैं.’’
उन्होंने कहा, ‘‘अमरिंदर सिंह के पास कृषि कानूनों को रोकने के कई अवसर थे, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया.’’ केजरीवाल ने केंद्र से किसानों की सभी मांगें तत्काल पूरी करने और उनकी फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी देने की अपील की.
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