नई दिल्ली: पंजाब कांग्रेस का विवाद सुलझाने के लिए गठित की गई कमेटी के सामने राज्य के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने तमाम सवालों पर विस्तार से अपनी सफाई पेश की. हालांकि तीन घन्टे लंबी बैठक के बाद बाहर निकल कर उन्होंने कहा कि चुनाव को लेकर विचार-विमर्श हुआ और अंदरूनी बातों की चर्चा वे बाहर नहीं करना चाहते.
बीते पांच दिनों यानी सोमवार से ही पंजाब कांग्रेस के सभी प्रमुख नेताओं से एक-एक कर मिलने के बाद सोनिया गांधी द्वारा गठित उच्चस्तरीय कमेटी के सदस्य जेपी अग्रवाल ने कहा कि रिपोर्ट एक-दो दिनों में पार्टी अध्यक्ष को सौंप दी जाएगी. उन्होंने कहा कि रिपोर्ट में सभी पक्षों की बातों को जगह दी जाएगी. इस रिपोर्ट के बाद ही कांग्रेस आलाकमान पंजाब की सरकार और संगठन को लेकर अहम फैसले करेगा.
ज्यादा शिकायत प्रदेश अध्यक्ष सुनील जाखड़ की हुई
सूत्रों के मुताबिक कैप्टन अमरिंदर सिंह की कुर्सी को फिलहाल कोई खतरा नहीं है. पंजाब कांग्रेस के कुछ विधायकों ने बदलाव की मांग जरूर की थी, लेकिन ज्यादातर मुख्यमंत्री के बदलाव से ज्यादा कामकाज के तरीकों में बदलाव के पक्ष में नजर आए. विधायकों ने कैप्टन और सिद्धू दोनों को साथ लेकर चलने की बात कही. सूत्रों की मानें तो ज्यादा शिकायत प्रदेश अध्यक्ष सुनील जाखड़ की हुई.
ऐसे में प्रदेश अध्यक्ष के पद पर जल्द कोई नया चेहरा देखने को मिल सकता है. इसके अलावा सरकार में उप मुख्यमंत्री नियुक्त करने की संभावना है. इन पदों पर पंजाब के विभिन्न वर्गों खास तौर पर दलित समाज को प्राथमिकता दी जा सकती है.
जहां तक गुरुग्रंथ साहिब बेअदबी का मामला है तो कैप्टन अमरिंदर सिंह ने उच्चस्तरीय कमेटी को भरोसा दिया है कि इस मामले में जल्द कार्रवाई होगी. प्रभारी हरीश रावत ने कहा कि हम लोगों की भावना समझते हैं, मुख्यमंत्री तो और बेहतर समझते हैं.
सीएम ने कमेटी को विस्तार से दिया जवाब
पंजाब विवाद सुलझाने के लिए गठित कमेटी के सामने पेश हुए कैप्टन ने विस्तार से सभी पहलुओं पर जवाब दिया. सूत्रों के मुताबिक कैप्टन अपने साथ दस्तावेज भी लाए थे, जिसमें इस बात का जिक्र था कि किस तरह उन्होंने कांग्रेस नेताओं की सिफारिश पर काम करवाए हैं. उन्होंने कमेटी को समझाने की कोशिश की कि साढ़े चार साल पहले उन्हें जो जिम्मेदारी दी गई थी उसे वो निभा रहे हैं.
कैप्टन ने पंजाब की मौजूदा राजनीतिक स्थिति और 2022 चुनाव के रोडमैप को लेकर भी कमेटी के सामने अपनी बात रखी. हालांकि बैठक के बाद उन्होंने मीडिया के इस सवाल का जवाब नहीं दिया कि क्या 2022 में वो मुख्यमंत्री का चेहरा होंगे?
जहां तक सिद्धू का सवाल है तो वे पंजाब कांग्रेस के नए कप्तान तो बनना चाहते हैं, लेकिन उनके पास टीम नहीं है. सब कुछ राहुल और प्रियंका गांधी पर निर्भर करता है कि सिद्धू के लिए दोनों कैप्टन पर क्या दबाव बनाते हैं. देखना होगा कि कैप्टन को नापसंद होने के बावजूद उन्हें प्रदेश अध्यक्ष बनाया जाएगा, उपमुख्यमंत्री जैसा पद दिया जाएगा या प्रचार समिति का प्रमुख!
रायशुमारी की कवायद के जरिए आलाकमान ने पंजाब कांग्रेस पर अपनी पकड़ मजबूत की है. फिलहाल कैप्टन की कुर्सी सुरक्षित है, लेकिन उनकी स्थिति पहले से कमजोर हुई है. सवाल है कि कमजोर कप्तान के साथ कांग्रेस 2022 का चुनाव कैसे जीतेगी?
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