चंडीगढ़: पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर संकट में घिरे किसानों का कर्ज राष्ट्रीय स्तर माफ करने की अपील की है. इस पत्र में मुख्यमंत्री ने कहा कि खेती के कर्ज की एक बार की माफी इसलिए आवश्यक है कि इससे किसान समुदाय के संकट को कम किया जा सकता है और कृषि को उच्च वृद्धि के रास्ते पर लाया जा सकेगा. सिंह ने खत में लिखा, ‘‘भारत सरकार को एक बार के लिए तो यह कड़वी गोली निगलनी पड़ेगी.’’


मुख्यमंत्री ने लिखा है कि इस बात को व्यापक स्तर पर स्वीकार किया जा रहा है कि देश के अधिकतर अन्नदाता भारी कर्जे के दबाव में है और इसके चलते कुछ किसानों ने आत्महत्या करने जैसा अतिवादी कदम भी उठाया. उन्होंने प्रधानमंत्री को बताया कि पंजाब सरकार ने अपने बूते पर उन सभी लघु और सीमांत किसानों का दो लाख रूपये का कृषि कर्ज माफ कर दिया है जो उन्होंने विभिन्न संस्थाओं से लिया था. 5.52 लाख किसानों को 4,468 करोड़ रूपये की कर्ज सहायता अभी तक प्रदान की चुकी है. शेष को इसमें योजना में पात्रता के अनुरूप राहत निकट भविष्य में प्रदान कर दी जाएगी.


उन्होंने कहा कि पंजाब सरकार ने यह सहायता अपने सीमित संसाधनों से दी है और यह पर्याप्त नहीं है. इसमें भारत सरकार के सहयोग की आवश्यकता है. मुख्यमंत्री ने लिखा है कि केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री किसान योजना के तहत वित्तीय सहायता और किसानों के लिए पेंशन योजना शुरू की है पर ये उपाय संभवतया मौजूदा आर्थिक संकट से निपटने के लिए पर्याप्त नहीं है. प्रधानमंत्री किसान योजना के तहत किसानों को प्रति वर्ष छह हजार रूपये की आय सहायता दी जाती है. एक अन्य पत्र में मुख्यमंत्री ने मोदी को अपील की है कि वे केंद्रीय कृषि मंत्रालय को यह सलाह दे कि वह प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में आवश्यक सुधार करे.


सिंह ने कहा कि हालांकि यह योजना पहले से बेहतर है और पर अभी तक इसमें कई ‘कमियां’ हैं. उन्होंने कहा कि इस बीमा योजना को खेत या भूखंड आधारित होना चाहिये न कि क्षेत्रफल आधारित. इसके अलावा मुआवजा 90 फीसदी से अधिक होना चाहिये और यह बीमित किसान की पिछली उपज के आधार पर मिलना चाहिये. साथ ही फसल कटाई के बाद मंडियों में प्राकृतिक आपदा के चलते होने वाली क्षति को इस योजना में कवर किया जाना चाहिए. इसके अलावा फसल बीमा योजना में स्थानीय प्राकृतिक आपदाओं को भी जोड़ा जाना चाहिये. जैसे रबी फसल में गैर मौसमी बारिश और खरीफ फसल में कम बारिश के कारण बढ़ने वाली लागत को शामिल किया जाना चाहिये.