Xplained: आंदोलन के बाद पार्टी बना कर पंजाब चुनाव में उतरेंगे किसान नेता?
Farmers Protest: पंजाब के 32 किसान संगठनों में वामपंथी दलों के किसान संगठन भी हैं जो पहले से राजनीतिक दलों से संबंधित हैं.
Farmers Protest: कृषि कानूनों की वापसी के बाद एक तरफ संयुक्त किसान मोर्चा में किसान आंदोलन को खत्म करने को लेकर मंथन जारी है, वहीं पंजाब के कुछ किसान नेता मोर्चा बना कर विधानसभा चुनाव में उतरने की तैयारी भी कर रहे हैं. इसका खुलासा जम्हूरी किसान सभा के नेता कुलवंत सिंह संधू ने एबीपी न्यूज से बातचीत के दौरान किया.
कुलवंत सिंह संधू उन किसान नेताओं में शामिल हैं जो घर वापसी के पक्ष में हैं. उन्होंने कहा कि किसान संगठन राजनीतिक दल बना सकते हैं, लेकिन धरना खत्म होने के बाद सोचेंगे और बैठक में चर्चा की जाएगी. संधू ने कहा कि बीजेपी को हराना है लेकिन चुनाव में स्वतंत्र रूप से उतरेंगे, किसी अन्य दल से गठबंधन नहीं करेंगे क्योंकि सभी दल चाहे कांग्रेस हो या अकाली दल या आम आदमी पार्टी सभी पूंजीपतियों का समर्थन करते हैं.
अब तक इसको लेकर कयास लगाए जा रहे थे कि पंजाब के किसान संगठन चुनाव लड़ सकते हैं लेकिन संयुक्त किसान मोर्चा हमेशा चुनाव लड़ने की बात को खारिज करता था. हरियाणा के किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी भी पंजाब में चुनाव लड़ने की बात कर चुके हैं. कुलवंत संधू के रूप में पहली बार पंजाब के किसी किसान नेता ने खुल कर चुनाव लड़ने की बात पर विचार करने की बात कही है साथ ही यह दावा भी किया कि किसान संगठन अपनी पार्टी बना सकते हैं.
पंजाब के 32 किसान संगठनों में वामपंथी दलों के किसान संगठन भी हैं जो पहले से राजनीतिक दलों से संबंधित हैं. जैसे सीपीएम का संगठन किसान सभा है जो कृषि कानूनों के खिलाफ मोर्चा शुरू करने वाले पंजाब के 32 किसान संगठनों में से एक है. चुनाव में इनकी सीधी भागीदारी होती है. इसके अलावा अन्य किसान संगठन भी चुनाव लड़ते रहे हैं. पंजाब के अलावा यूपी की बात करें तो किसान नेता राकेश टिकैत कई बार चुनाव में अपनी किस्मत आजमा चुके हैं.
सूत्रों के मुताबिक पंजाब के कई किसान नेताओं को कांग्रेस से लेकर आम आदमी पार्टी तक से चुनाव लड़ने का न्योता मिल चुका है. कुछ बड़े किसान नेताओं को लेकर कयास हैं कि वो इन दोनों में से किसी दल के साथ गठबंधन कर सकते हैं.
ऐसे में देखना होगा कि क्या विभिन्न किसान संगठन एक पार्टी या मोर्चा बना कर चुनाव में उतरेंगे या उनकी रणनीति कुछ और होगी? तरीका जो भी हो एक बात साफ है कि दिल्ली में धरना खत्म होने के बाद किसान आंदोलन के चेहरे चुनावी अखाड़े में ताल ठोकते नजर आएंगे.
हालांकि कृषि कानूनों की वापसी के बाद दिल्ली से घर वापसी के लिए किसान संगठन एमएसपी कानून के लिए कमिटी बनाए जाने और प्रदर्शनकारियों पर दर्ज मुकदमे वापस लेने की मांग पर अड़े हुए हैं. पंजाब के संगठन जल्द घर वापसी के पक्ष में है. सूत्रों का दावा है कि पंजाब के किसान संगठनों के इस रुख के पीछे आगामी विधानसभा चुनाव है क्योंकि किसान नेताओं को चुनाव लड़ना है. दिलचस्प बात यह कि आंदोलन कर रहे किसान संगठनों ने कुछ समय पहले तक पंजाब में राजनीतिक दलों को सभा या प्रचार करने पर रोक लगा दी थी.
किसान संगठनों ने पार्टी बना कर चुनाव लड़ा तो किसी एक दल के लिए बहुमत हासिल कर पाना मुश्किल होगा. पंजाब में इस बार कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, अकाली गठबंधन और बीजेपी गठबंधन के बीच मुकाबला है. ऐसे में पांचवीं ताकत के मैदान में उतरने से मुकाबला दिलचस्प हो जाएगा. देखना दिलचस्प होगा कि बीजेपी को हराने के नाम पर चुनाव में अगर किसानों की पार्टी के उतरने से किसानों के वोट बंटे तो क्या उसका फायदा बीजेपी को ही तो नहीं हो जाएगा!