Punjab Election and Sant Ravidas Jayanti: 15वीं शताब्दी के संत रविदास (Sant Ravidas) की जयंती वैसे तो हर साल आती है और समाज धूम धाम से मनाता भी है, लेकिन इस बार यूपी और पंजाब में विधानसभा चुनाव (Assembly Election 2022) की वजह से ये सुर्खियों में है. इन दोनों राज्यों में दलितों की अच्छी खासी संख्या है. खासतौर पंजाब पर इसलिए फोकस है, क्योंकि वहां दलितों की 32 फीसदी आबादी है और रविदास को मानने वालों की भी एक बड़ी संख्या है.
ऐसे में जब चुनावों के दौरान रविदास की जयंती आ जाए, तो फिर कौन सा दल ऐसा मौका छोड़ना चाहता है. दिल्ली से शुरुआत प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने की, जो सुबह-सुबह संत रविदास धाम पहुंचे. यहां मंदिर में प्रधानमंत्री संत रविदास के दर्शन किए. प्रधानमंत्री को भेंट स्वरूप एक मूर्ति भी दी गई तभी प्रधानमंत्री ने देखा कि मंदिर में कीर्तन हो रहे थे, तो वो भी कीर्तन करने लगे. थोड़ी देर तक कीर्तन करने के बाद प्रधानमंत्री वहां से निकल गए.
आपको जानकर हैरानी होगी कि संत रविदास की जयंती की वजह से ही पंजाब में मतदान की तारीख बदलनी पड़ी. पहले पंजाब में 14 फरवरी को वोटिंग होनी थी. लेकिन वहां के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने इसका विरोध किया और दलील दी कि रविदास जयंती के मौके पर पंजाब से लाखों लोग वाराणसी में होते हैं. जहां संत रविदास का मंदिर है, बाद में उनकी इस मांग के समर्थन में दूसरी पार्टियां भी आईं और वोटिंग की तारीख 20 फरवरी की गई.
इसीलिए खुद पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी आधी रात में ही वाराणसी पहुंच गए थे. सुबह 5 बजे तो उन्होंने वाराणसी के रविदास जन्मस्थान पर बने मंदिर में दर्शन भी कर लिए थे. रविदास जयंती के मौके पर वहां कीर्तन हो रहे थे.चन्नी ने भी कुछ देर कीर्तन का आनंद लिया.आज तो वाराणसी में संत रविदास के जन्मस्थान पर नेताओं की पहुंचना जारी रहा.
सुबह करीब साढ़े 9 बजे यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी पहुंचे. योगी आदित्यनाथ ने रविदास मंदिर में दर्शन पूजन किया और रविदास मंदिर के संत समाज से भी मुलाकात की. इसके बाद प्रियंका गांधी और राहुल गांधी को आना था. थोड़ी देर बाद दोनों पहुंचे. दोनों पहले दर्शन किए फिर रविदास समाज के संतों से मुलाकात की.
पंजाब चुनाव की वजह से आई संत रविदास की याद?
पर सवाल ये है कि क्या नेताओं को पंजाब चुनाव की वजह से संत रविदास की याद आई है? क्योंकि संत रविदास के अनुयायी तो नेताओं के इस जमावड़े राजनीतिक स्टंट ही बता रहे हैं. पंजाब के 32 प्रतिशत दलित वोट को पाने के लिए हर पार्टी जोर लगा रही है. इस वोट का बड़ा फायदा अब तक कांग्रेस को मिलता आया है, लेकिन अब मैदान में एक नया खिलाड़ी है, जिसका नाम है आम आदमी पार्टी. पंजाब में किसकी सरकार बनती है ये बहुत हद दलित ही तय करते हैं और यही वजह से हर पार्टी उन्हें अपने पाले में लाने की कोशिश कर रही हैं.
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