चंडीगढ़: पंजाब के 29 किसान संगठन सोमवार से रेल ट्रैक 15 दिन के लिए ख़ाली करेंगे. यह फैसला सीएम अमरिंदर सिंह के साथ चंडीगढ़ में हुई किसान नेताओं की बैठक में हुआ. लेकिन किसानों ने शर्त रखी है कि केंद्र सरकार ने कृषि सुधारक क़ानून के मसले पर अगर बातचीत का चैनल तेज़ नहीं किया तो किसान दोबारा रेल ट्रैक पर आ जाएंगे.


अमृतसर में किसान मज़दूर संघर्ष समिति ने पैसेंजर ट्रेन के लिए ट्रैक खोलने से इनकार किया है. समिति ने सीएम की मीटिंग का न्योता भी ठुकरा दिया था और किसान मज़दूर संघर्ष समिति का कोई नेता सीएम की बैठक में शामिल नहीं हुआ. 24 सितंबर से समिति अमृतसर रेल ट्रैक पर आंदोलन कर रही है. अब रेल मंत्रालय सोमवार को पंजाब में ट्रेन सेवा बहाल करता है या नहीं इस पर स्थिति फिलहाल स्पष्ट नहीं है.


पंजाब में पिछले 52 दिनों से मालगाड़ी और यात्री ट्रेनों का आवागमन पूरी तरह  बंद है. इस बीच पंजाब सरकार ने किसान यूनियन से बात कर रेलवे से कई बार आग्रह किया था कि वो चुनिंदा रूट्स पर पहले मालगाड़ी चलाए और बाद में स्थिति ठीक होने पर यात्री ट्रेनों को अनुमति दी जा सकती है. लेकिन रेलवे ने हर बार यही कहा कि जब तक सभी रूट्स पर सभी तरह की ट्रेनों की सुरक्षा का आश्वासन नहीं मिलता तब तक कोई भी ट्रेन नहीं चलाई जा सकती क्योंकि तब सुरक्षा का ख़तरा बना रहेगा. चुनिंदा क़िस्म के सामानों को ले जाने पर भी रेलवे ने आपत्ति ज़ाहिर की थी. इस बीच रेलवे के अनुसार रेलवे को 2100 करोड़ रुपये से अधिक का नुक़सान हो चुका है.


अब पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने ट्वीट कर ये जानकारी दी है कि किसान यूनियन ने सोमवार से रेलवे ट्रैक के सभी स्थानों से अपना प्रदर्शन हटाने का आश्वासन दिया है. इससे सभी तरह की गुड्स और यात्री ट्रेनें चल सकेंगी.


इस पर रेलवे का कहना है कि अभी ये जानकारी आधिकारिक तौर से रेलवे के पास नहीं आई है. लेकिन अगर ऐसा आश्वासन पंजाब सरकार की ओर से मिलता है तो रेलवे किसी भी वक़्त ट्रेनें चलाने के लिए तैयार है और उम्मीद करते हैं कि सोमवार से ही ट्रैक मेंटेनेंस का काम करने के तुरंत बाद ट्रेनें चलने लगेंगी.


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