नई दिल्ली: पंजाब में कैप्टन अमरिंदर सिंह सराकर ड्रग्स की समस्या से निपटने के लिए बेहद कड़े कदम उठा रही है. कैप्टन सरकार ने आज फैसला किया कि पंजाब में अब सरकारी कर्मचारियों की भर्ती के लिए डोप टेस्ट जरूरी होगा. इसके साथ ही मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने डीजीपी सुरेश अरोड़ा को नशे से हो रही नौजवानों की मौत की जाँच के आदेश दिए. दो दिन पहले ही पंजाब कैबिनेट नशा तस्करों के लिए मृत्यु दंड के प्रावधान का प्रस्ताव पारित करके केंद्र सरकार को भेजा था.


हथियार का लाइसेंस लेने के लिए डोप टेस्ट जरूरी
10 मई को पंजाब सरकार ने हथियार का लाइसेंस लेने के लिए लोगों को डोप टेस्ट करवाना जरूरी कर दिया था. डोप टेस्ट से ये जानने की कोशिश की जाएगी कि हथियार का लाइसेंस लेने वाला युवक कहीं कोई नशा तो नहीं करता है. अगर डोप टेस्ट में नशे की मात्रा पाई गई तो पंजाब में जीवन भर हथियार के लाइसेंस से वंचित रहना पड़ेगा.


नशा तस्करी के आरोप में बर्खास्त किए पुलिस वाले
पंजाब सरकार ने नशा तस्करी के आरोपों में घिरे पुलिस अफ़सरों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की. सरकार ने मोगा के एसएसपी राजजीत हुंदल का ट्रांसफर कर दिया गया तो वहीं एक डीएसपी और हवलदार को बर्खास्त कर दिया. एसटीएफ की रिपोर्ट में एसएसपी का नाम आया था. वहीं डीएसपी और हवलदार पर लड़कियों को नशे की आदत डालने का आरोप लगाया था.


पंजाब में ड्रग्स समस्या बड़ा मुद्दा है
दरअसल पंजाब में ड्रग्स की समस्या बेहद गंभीर है और पंजाब के युवाओं की बेहद बड़ी तादाद नशे की गिरफ्त में है. इसी मुद्दे को लेकर पंजाब विधानसभा चुनाव में बीजेपी-शिरोमणि अकाली दल को हराकार कांग्रेस पार्टी ने सत्ता हासिल की थी. पंजाब में ड्रग्स की समस्या को लेकर कई बार वहां विरोध प्रदर्शन भी किए जा चुके हैं लेकिन इस समस्या के पूरी तरह खात्मे को लेकर अभी भी खास सफलता मिलती नहीं दिख रही है.