Punjab Assembly Special Session: पंजाब के राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित (Banwarilal Purohit) ने विधानसभा के विशेष सत्र को बुलाने का आदेश वापस ले लिया है. पंजाब के राज्यपाल की ओर से बयान जारी कर कहा गया कि ऐसा करने के लिए "विशिष्ट नियमों की अनुपस्थिति" के कारण पंजाब सरकार द्वारा विश्वास प्रस्ताव के लिए बुलाए गए विधानसभा के विशेष सत्र का आदेश वापस ले लिया है.
राज्यपाल के इस आदेश पर सीएम भगवंत मान ने कहा कि, "राज्यपाल द्वारा विधानसभा ना चलने देना देश के लोकतंत्र पर बड़े सवाल पैदा करता है. अब लोकतंत्र को करोड़ों लोगों द्वारा चुने हुए जनप्रतिनिधि चलाएंगे या केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त किया हुआ एक व्यक्ति. एक तरफ भीमराव जी का संविधान और दूसरी तरफ ऑपरेशन लोटस, जनता सब देख रही है."
अरविंद केजरीवाल ने भी किया ट्वीट
पंजाब के राज्यपाल के इस आदेश पर दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने भी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने ट्वीट किया कि, "राज्यपाल कैबिनेट द्वारा बुलाए सत्र को कैसे मना कर सकते हैं? फिर तो जनतंत्र खत्म है. दो दिन पहले राज्यपाल ने सत्र की इजाजत दी. जब ऑपरेशन लोटस फेल होता लगा और संख्या पूरी नहीं हुई तो ऊपर से फोन आया कि इजाजत वापिस ले लो. आज देश में एक तरफ संविधान है और दूसरी तरफ ऑपरेशन लोटस."
पंजाब सरकार ने इसलिए बुलाया था विशेष सत्र
पंजाब कैबिनेट ने विश्वास प्रस्ताव लाने के लिए 22 सितंबर को विधानसभा का एक दिन का विशेष सत्र बुलाने को मंजूरी दी थी. मुख्यमंत्री भगवंत मान की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई कैबिनेट की बैठक में ये निर्णय लिया गया था. सीएम मान ने इससे पहले सोमवार को घोषणा की थी कि विधानसभा का एक विशेष सत्र बुलाया जाएगा. आप ने भारतीय जनता पार्टी पर पंजाब में सरकार को गिराने की कोशिश करने का आरोप लगाया था.
क्या है पंजाब विधानसभा की स्थिति?
सत्तारूढ़ दल ने हाल ही में दावा किया था कि उसके कम से कम 10 विधायकों को बीजेपी ने छह महीने पुरानी सरकार को गिराने के लिए 25-25 करोड़ रुपये की पेशकश के साथ संपर्क किया था. 117 सदस्यीय पंजाब विधानसभा में आप के पास 92 विधायकों के साथ भारी बहुमत है. जबकि कांग्रेस के पास 18 विधायक हैं. शिरोमणि अकाली दल (SAD) के पास तीन, बीजेपी के दो और बहुजन समाज पार्टी (BSP) के पास एक है. एक निर्दलीय सदस्य भी है.
विश्वास प्रस्ताव लाने के लिए इन राज्यों में भी बुलाए गए थे विशेष सत्र
इससे पहले दिल्ली की आप सरकार ने भी विश्वास प्रस्ताव लाने के लिए विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया था. इसके लिए दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने अनुमति भी दी थी. सीएम अरविंद केजरीवाल के द्वारा 29 अगस्त को पेश किए गए विश्वास मत प्रस्ताव के पक्ष में एक सितंबर को वोटिंग हुई थी. राज्य सरकार के पक्ष में 58 वोट पड़े थे. जबकि विरोध में कोई भी विधायक खड़ा नहीं हुआ था. बीजेपी के तीन विधायकों को पहले ही सदन से बाहर कर दिया गया था.
कुछ ऐसा ही झारखंड (Jharkhand) में भी हुआ था जब 5 सितंबर को झारखंड सरकार ने विश्वास प्रस्ताव लाने के लिए विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया था. जिसके लिए राज्यपाल रमेश बैस ने अनुमति भी दी थी. झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन (Hemant Soren) ने तब विश्वास मत हासिल किया था.
ये भी पढ़ें-
Congress President Election: सोनिया गांधी से मिले अशोक गहलोत, लड़ सकते हैं कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव