चंडीगढ़: पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने अभिभावकों को बड़ा झटका दिया है. पंजाब के प्राइवेट स्कूलों के पक्ष में फैसला देते हुए कोर्ट ने कहा कि सभी स्कूल ट्यूशन फीस, एनुअल फीस और एडमिशन फीस ले सकते हैं, लेकिन जितनी फीस पिछले साल थी उतनी ही फीस ली जाए और इसे बढ़ाया नहीं जाए. कोर्ट के इस फैसले से अभिभावक काफी निराश हुए हैं.

न्यायमूर्ति निर्मजलित कौर की पीठ ने स्कूलों के पक्ष में फैसला देते हुए कहा कि चाहे किसी स्कूल ने लॉकडाउन के दौरान ऑनलाइन क्लास चलाईं हो या नहीं, वे सभी स्कूल फीस ले सकते हैं. हालांकि, कोर्ट ने स्कूलों को फीस बढ़ाने से साफतौर पर मना किया है.

अभिभावकों की दलील सुनी जाए

कोर्ट ने स्कूलों को निर्देश दिए हैं कि अगर किसी अभिभावक की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है और वो फीस नहीं दे पा रहा है तो उसकी दलील सुनी जाए. इसके साथ ही अगर स्कूलों के सामने आर्थिक दिक्कत आ रही है तो वे भी स्थानीय डिस्ट्रिक्ट एजुकेशन ऑफिसर को लिखित में बता सकते हैं. कोर्ट ने फैसले में कहा कि स्कूलों को टीचरों को सैलरी और बिल्डिंग के अन्य खर्च देने पड़ते हैं, इसलिए स्कूलों को राहत देनी चाहिए.

उत्तर प्रदेश में भी इस साल स्कूल नहीं बढ़ा सकेंगे फीस

उत्तर प्रदेश में योगी सरकार ने सभी स्कूलों से इस साल फीस बढ़ाने के लिए मना किया है. सरकार ने इससे संबंधित आदेश भी जारी कर दिया है. राज्य सरकार के आदेश में साफतौर पर कहा गया है कि अगर कोई स्कूल इस साल फीस बढ़ाता है तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी. सरकार का यह आदेश सभी बोर्ड के स्कूलों के लिए है.

23 मार्च से बंद हैं स्कूल

गौरतलब है कि कोरोना वायरस के कारण देशभर में 23 मार्च से सभी स्कूल बंद है. हालांकि, इस दौरान कुछ स्कूलों ने ऑनलाइन पढ़ाई चालू रखी, लेकिन फिर भी अभिभावकों का कहना था कि स्कूलों को लॉकडाउन की अवधि की फीस नहीं लेनी चाहिए. दरअसल, लॉकडाउन के दौरान ट्रांस्पोर्ट बंद था, तो अभिभावक चाहते थे कि स्कूल ट्रांसपोर्ट फीस और डेवलपमेंट चार्ज न लेकर फीस में कटौती करें.

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