जालंधर: भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में कल का दिन ऐतिहासिक रहा. सुप्रीम कोर्ट ने आईपीसी की धारा 377 के उस हिस्से को रद्द कर दिया जिसके तहत समलैंगिक संबंधों को अपराध माना जाता रहा है. अपने ऐतिहासिक फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने उन जुमलों को इस्तेमाल किया जो लोकतंत्र के इतिहास में सुनहरे अक्षरों में सुरक्षित रखे जाएंगे. समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी से बाहर करते हुए देश की सबसे बड़ी अदालत ने कहा कि सेक्शुअल ओरिएंटेशन बॉयलॉजिकल है, इस पर रोक लगाना संवैधानिक अधिकारों का हनन है. इस देश में एलजीबीटी को भी समान अधिकार है. राइट टू लाइफ के तहत उनका भी इस समाज में पूरा अधिकार है और यह सुनिश्चित करना न्यायपालिका का काम है.
इस ऐतिहासिक और क्रांतिकारी फैसले के बाद समलैंगिक समुदायों में खुशी की लहर दौड़ पड़ी. लंबे संघर्ष के बाद मिली जीत की चमक उनके चेहरे पर साफ दिख रही थी. अब उन्हें उम्मीद है कि कानूनी सुरक्षा मिलने के बाद उनके प्रति समाज का नजरिया भी बदलेगा और उन्हें आम लोगों की तरह जीने का हक मिलेगा. इन्हीं में से एक हैं पंजाब पुलिस में काम कर रही जेल वार्डेन मनजीत, कोर्ट के फैसले के बाद जिनकी जिंदगी ने उड़ान लेनी शुरू कर दी है.
मनजीत ने दुनिया की परवाह किए बगैर अपने प्यार को ज्यादा तरजीह दी और रुढ़िवादी समाज की बेड़ियों को तोड़ते हुए समलैंगिक विवाह का रास्ता अपनाया, अपनी प्रेमिका सीरत संधू से शादी करने का फैसला किया. शादी के लिए जब वो शहर के एक मंदिर में गईं तो उनके परिवार और रिश्तेदारों से ज्यादा ये शादी लोगों के लिए उत्सुकता का कारण बनी. लोग शादी में दूल्हे और दुल्हन को देखने के लिए इस कदर आतुर थे कि कुछ ही देर में वहां काफी भीड़ जुट गई.
फोटो लीक होने पर पड़ोसियों ने किया परेशान
शादी के लिए मनजीत ने जो फोटोग्राफर किया था रही सही कसर उसने पूरी कर दी. फोटोग्राफर ने उनकी शादी की तस्वीरों को ऑनलाइन लीक कर दिया. जैसे-जैसे तस्वीरें वायरल होती गईं वैसे ही इन दोनों की जिंदगी की मुश्किलें भी बढ़ती गईं. लोगों ने सोशल मीडिया पर इनके रिश्ते को लेकर काफी भद्दे कमेंट्स किए. शादी की बात जानकर उनके पड़ोसियों ने उनको परेशान करना शुरू कर दिया. उनके बाहर निकलते ही लोग उन्हें बहुत ही हीन भावना से देखते थे. उनकी जिंदगी दिन ब दिन बदतर होती जा रही थी. समलैंगिक समुदाय से ताल्लुक रखने के कारण उन्हें यात्रा वीजा मिलना मुश्किल हो गया था.
पुलिस विभाग ने भी मांगा स्पष्टीकरण
मनजीत बताती हैं भारतीय कानून समलैंगिक विवाह जैसी किसी भी चीज को नहीं मानता है, जिसके चलते उन्हीं पुलिस विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों ने उनसे इस शादी को लेकर आधिकारिक स्पष्टीकरण मांगा. पुलिस की नौकरी में भी उन्हें रोज लोगों के ताने सुनने पड़ते थे. उन्हीं के विभाग के लोग उन्हें अछूत मानने लगे.
जेल में हुई थी दोनों की मुलाकात
संधू जेल में अपने पति के मर्डर के गलत आरोप में सजा काट रही थीं. उसी जेल में मनजीत जेल वार्डेन थीं. जेल वार्डेन रहते हुए मनजीत ने कैदी रही संधू का काफी ख्याल रखा. जब संधू को 2016 में सभी आरोपों से बरी कर दिया गया, तो वह जेल से रिहा होने के बाद मनजीत से मिली, और जल्द ही दोनों एक दूसरे के प्यार में गिर गईं. इसके एक साल बाद दोनों ने शादी कर ली.
परिवार को मनाना सबसे बड़ा चैलेंज
मनजीत और संधू अपने एक इंटरव्यू में बताती हैं कि इस शादी के लिए परिवार के लोगों को मनाना सबसे बड़ा चैलेंज था. पहले तो परिवार ने इनके रिश्ते को मानने से साफ इंकार कर दिया. फिर काफी मुश्किलों के बाद दोनों अपने परिवार को समझाने में सफल रहीं. अब दोनों के परिवार वाले इनके रिश्ते को लेकर काफी हद तक सहज हो चुके हैं.
सुप्रीम कोर्ट के फैसले से जगी है उम्मीद
मनजीत और संधू का कहना है कि समाज ने हमारे प्यार को गलत बताया, उसे वासना का नाम दिया, लेकिन कल सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने समाज को गलत साबित कर दिया. हमें उम्मीद है कि यह हमारे जैसे सैकड़ों समलैंगिक जोड़ों को मुस्कुराने की वजह देगा. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद हम अपनी जिंदगी के बेहतर होने की उम्मीद करते हैं. आशा करते हैं कि इस ऐतिहासिक फैसले से भारत की रुढ़िवादी समाज की मानसिकता में बड़ा बदलाव होगा और समलैंगिक समुदाय को भी उतनी तरजीह दी जाएगी जितना बाकी लोगों को मिलती है. हमें उम्मीद है समलैंगिकता को अब हीन भावना से नहीं देखा जाएगा.
आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने सिर्फ आपसी सहमति से एकांत में दो व्यस्कों के बीच बने शारीरिक संबंध को सही ठहराया है, लेकिन समलैंगिक शादी को कानूनी दर्जा नहीं दिया है.