चंडीगढ़: पंजाब कांग्रेस का झगड़ा तू तू मैं मैं तक पहुंच गया है. कांग्रेस सांसद प्रताप बाजवा की डीजीपी दिनकर गुप्ता को लिखी चिट्ठी पर कैप्टन अमरिंदर ने जवाब दिया है. उन्होंने कहा कि बाजवा की सुरक्षा हटाने का फ़ैसला मेरा था. अमरिंदर सिंह ने कहा कि डीजीपी पर हमला करने की बजाए मुझसे बात करें. अगर बाजवा को पंजाब सरकार पर विश्वास नहीं तो कांग्रेस हाईकमांड के पास जाएं. सीएम ने बाजवा की करारी चिट्ठी के बाद लिखित बयान जारी किया है.


बाजवा ने चिट्ठी में क्या कहा?
गौरतलब है कि सुरक्षा हटने से नाराज़ कांग्रेस सांसद प्रताप बाजवा ने पंजाब के डीजीपी दिनकर गुप्ता और चंडीगढ़ के डीजीपी संजय बेनीवाल को चिट्ठी लिखी है. बाजवा ने दिनकर गुप्ता की कार्यशैली पर सवाल उठाए. बाजवा ने डीजीपी चंडीगढ़ से कहा कि मुझपर या मेरे परिवार पर आंच आई तो जिम्मेदार पंजाब के सीएम अमरिंदर सिंह और डीजीपी दिनकर गुप्ता होंगे.


पिछले दिनों सरकार ने प्रताप सिंह बाजवा को दी गई पुलिस सुरक्षा वापस लेने के आदेश दिए. सरकार की तरफ से कहा गया कि बाजवा को अब किसी से खतरा नहीं है, इसलिए राज्य पुलिस की ओर से दी गई सुरक्षा वापस ली जानी चाहिए.


कांग्रेस इकाई ने की थी निष्कासित करने की मांग
इससे पहले बाजवा और एक अन्य कांग्रेस सांसद शमशेर सिंह दूलो ने राज्य में जहरीली शराब त्रासदी की सीबीआई और ईडी से जांच कराने की मांग की थी. राज्य कांग्रेस इकाई ने शुक्रवार को आलाकमान को पत्र लिखकर इन दोनों राज्यसभा सदस्यों को पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के लिए निष्कासित करने की मांग की थी.


बाजवा ने उठाई थी मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह के खिलाफ आवाज 


वहीं दूसरी तरफ, बाजवा ने 'पार्टी के हित को ध्यान में रखते हुए' मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह और पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष सुनील जाखड़ को तत्काल हटाने की मांग की थी. बाजवा ने कहा था, “यदि मुख्यमंत्री और प्रदेश अध्यक्ष को नहीं हटाया जाता है तो पंजाब में पार्टी का नाश हो जाएगा.”


एक आधिकारिक प्रवक्ता ने कहा, “पंजाब सरकार ने कांग्रेस सांसद प्रताप सिंह बाजवा की राज्य पुलिस सुरक्षा हटाने का निर्णय लिया है. हमारी समीक्षा में पाया गया कि उन्हें किसी भी प्रकार का खतरा नहीं है और अब उन्हें केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से प्रदान की गई केंद्रीय सुरक्षा दी जाएगी.”

प्रवक्ता ने कहा कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की ओर से व्यक्तिगत सुरक्षा प्राप्त करने के बाद बाजवा को दी गई राज्य पुलिस सुरक्षा का कोई अर्थ नहीं था.


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