पंजाब में खुलेआम जलाई जा रही है पराली, नाकाफी साबित हुए सरकारी इंतजाम, किसान बोले- हमारी मजबूरी
पंजाब सरकार ने आदेश तो दिया हुआ है कि जो भी किसान पराली जलाएगा उस पर कानूनी कार्यवाही की जाएगी बावजूद किसानों का उनके खेतों में पराली जलाना बंद नहीं हुआ है. इसको लेकर किसानों की अपनी वजहें हैं.
Punjab: पंजाब में धान की फसल की कटाई के बाद बचे अवशेष यानि की पराली (Stubble) जलाना खत्म नहीं हुआ है. हर बार की तरह इस बार भी किसान धड़ल्ले से राज्य में पराली जला रहे हैं और इस वजह से प्रदूषण (Pollution) फैल रहा है और पर्यावरण को भी नुकसान पहुंच रहा है. इन सभी के बीच पंजाब सरकार (Punjab Government) का पराली नहीं जलाने देने का वादा खोखला साबित हो रहा है.
पंजाब में धान की फसल की कटाई होने के बाद किसान लगातार पराली जला रहे हैं जिससे पर्यावरण को नुकसान पहुंच रहा है. पंजाब सरकार ने आदेश तो दिया हुआ है कि जो भी किसान पराली जलाएगा उस पर कानूनी कार्यवाही की जाएगी और उस किसान को सभी सरकारी सहुलियतों से भी वंचित कर दिया जाएगा. बावजूद इसके भी किसान पराली को जला रहे हैं और इसको लेकर अपनी मजबूरी भी बता रहे हैं.
क्या बोले पराली जला रहे किसान?
सुल्तानपुर लोधी जिले के पराली जला रहे एक किसान से जब इसके बारे में पूछा गया तो उन्होंने साफ कहा कि पराली जलाने को लेकर सरकारी आदेश और किए गये प्रबंध नाकाफी हैं. उन्होंने बताया कि पराली के लिए ना तो मशीनें ही उपलब्ध हैं और निजी मशीनों से पराली को ठिकाने लगााने का काम करना काफी ज्यादा महंगा है.
क्या है किसानों की मांग?
किसानों ने कहा की अगर सरकार अन्य फसलों पर एमएसपी रेट तय कर दे तो किसान धान की बजाए किसी और फसल को विकल्प के रूप में बोने का काम कर सकता है. लेकिन फिलहाल उसके लिए पंजाब में पराली जलाना ही एकमात्र विकल्प है.
इस मामले को लेकर जब पंजाब के कैबिनेट मिनिस्टर अमन अरोड़ा (Aman Arora) से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि हमारा शुरू से ही प्रयास रहा है कि पर्यावरण किसी एक का नहीं है और उसको सही से रखना हम सबका दायित्व है. उन्होंने कहा कि हम जनता को मशीनें भी उपलब्ध करा रहे है, हमारा प्रयास है कि ऐसी दिक्कतें दुबारा नहीं आनी चाहिए. उन्होंने आगे कहा कि बावजूद इसके अगर सरकारी की नजर में कोई व्यक्ति पर्यावरण (Enviournment) को नुकसान पहुंचाता दिखता है तो उसके खिलाफ सख्त कदम उठाना जरूरी है.
पंजाब से हमारे संवाददाता रघुनंदन की रिपोर्ट