नई दिल्ली: चुनाव की दहलीज पर खड़े पंजाब में कांग्रेस के लिए एक बार फिर से मुसीबत बढ़ गई है. मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के खिलाफ बगावत का बिगुल फूंकने वाले चार मंत्री आज देहरादून में प्रभारी हरीश रावत से बात करेंगे. इन मंत्रियों में तृप्त राजिंदर सिंह बाजवा, सुखबिंदर सिंह सरकारिया, सुखजिंदर सिंह रंधावा और चरणजीत सिंह चन्नी शामिल हैं. 


हरीश रावत से मिलकर चारों कैबिनेट मंत्री और कुछ विधायक सीधे दिल्ली पहुंचेंगे. कांग्रेस महासचिव परगट सिंह चंडीगढ़ देव सीधा दिल्ली पहुंचेंगे. कैप्टन के खिलाफ बगावत करने वाले सारे नेता कांग्रेस हाईकमान से नेतृत्व परिवर्तन की मांग करेंगे.


इससे पहले बाजवा के घर मंगलवार को कैप्टन से नाराज गुट की बैठक हुई. बैठक में तय हुआ कि टीम कांग्रेस को अगर अगला चुनाव जीतना है तो कैप्टन को बदलना ही होगा. दावा ये भी किया गया कि चार मंत्रियों के साथ 24 विधायक भी शामिल हैं. हालांकि बैठक में शामिल 7 विधायकों ने कैप्टन को पद से हटाने की बात को सिरे से खारिज कर दिया. वहीं तृप्त बाजवा के तेवरों ने साफ कर दिया कि बगावत की धुरी बदलाव ही है.


कैप्टन अमरिंदर सिंह को हटाने की मांग के पीछे बाजवा गुट की दलील ये है कि 2015 में धार्मिक ग्रंथ की बेअदबी के मामलों में न्याय में देरी हो रही है. नशे के रैकेट में शामिल बड़े लोगों को पकड़ना बाकी है और बिजली खरीद समझौतों को रद्द करना जरूरी है.


ये वादे कांग्रेस ने 2017 के विधानसभा चुनाव में किए थे विरोधियों का आरोप है कि ये अब तक पूरे नहीं हुए. इसलिए बदलाव, वक्त की मांग और सियासी जरूरत है. कांग्रेस में ये उथल-पुथल ऐसे वक्त में मची है, जब सिद्धू के सलाहकार मालविंदर सिंह माली और प्यारे लाल गर्ग कश्मीर और पाकिस्तान पर अपने हालिया विवादास्पद बयानों को लेकर विपक्ष और पार्टी के निशाने पर हैं.


मंगलवार को कैप्टन खेमे ने इन पर कठोर कार्रवाई तक की मांग कर दी और यही मांग बीजेपी कर रही है. बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा, ''मालविंदर सिंह माली का कहना है कि जम्मू-कश्मीर भारत का पार्ट नहीं है. नेहरू जी ने जो यूएन में जाकर गलती की थी, आजतक कांग्रेस पार्टी उसके साथ खड़ी है और कांग्रेस नेता घिनौनी बातें कर रहे हैं. कांग्रेस के बड़े नेता भी इसमें सम्मिल्लित हैं. राहुल और सोनिया जी की इसमें  हामी है वरना कांग्रेस के नेता ऐसा कह ही नहीं सकते''


कांग्रेस आलाकमान के लिए अब चुनौती दोतरफा है, एक तरफ उसे बीजेपी से निपटना है तो दूसरी ओर घर के भीतर मचे घमासान को संभालना है. अब आगे क्या होगा ये आज दिल्ली में होने वाली बैठक के बाद बहुत हद तक साफ हो जाएगा.


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