नई दिल्ली: पंजाबी एक्टर दीप सिद्धू पर 17वीं सदी के स्मारक लाल किला पर साजिश के आरोप लगे हैं. 26 जनवरी को लाल किला की प्राचीर पर केसरिया झंडा फहराने वाले दीप सिद्धू को अब एनआईए ने तलब किया है. ये नोटिस सिख्स फॉर जस्टिस (एसएफजे) मामले में भेजा गया है. सिद्धू ने लाल किला की प्राचीर से पताका को हूसिटिंग करते हुए फेसबुक लाइव भी किया था. वीडियो में सिद्धू ने पंजाबी में कहा था, 'हमने विरोध जताने के अपने लोकतांत्रिक अधिकार का प्रयोग करते हुए लाल किला पर सिर्फ निशान साहिब का झंडा फहराया है.'


बॉलीवुड एक्टर सनी देओल के करीबी
गुरदासपुर के सांसद और बॉलीवुड अभिनेता सनी देओल के करीबी माने जाने वाले सिद्धू 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा नेता के लिए चुनाव प्रभारी थे. पिछले साल दिसंबर में देओल ने सिद्धू से दूरी बना ली थी. यहां तक कि किसान यूनियनों ने भी पिछले साल सिद्धू पर प्रतिबंध लगा दिया था.


पिछले हफ्ते एनआईए ने सिद्धू को सिख्स फॉर जस्टिस (एसएफजे) मामले की जांच के सिलसिले में पेश होने के लिए समन भेजा था, जो पिछले साल 15 दिसंबर को दर्ज किया गया था. यहां तक कि संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने भी सिद्धू से दूरी बनाई और किसानों को लालकिले की ओर ले जाने का आरोप लगाया. एसकेएम ने कहा कि सिद्धू सोमवार रात को एक मंच पर दिखे और भड़काऊ भाषण देकर तोड़फोड़ की.


"तिरंगे को नहीं हटाया, वह एक प्रतीकात्मक प्रदर्शन था"
दीप सिद्धू ने प्रदर्शनकारियों के कृत्य का यह कह कर बचाव किया है कि उन लोगों ने राष्ट्रीय ध्वज नहीं हटाया और केवल एक प्रतीकात्मक विरोध के तौर पर 'निशान साहिब' को लगाया था. 'निशान साहिब' सिख धर्म का प्रतीक है और इस झंडे को सभी गुरुद्वारा परिसरों में लगाया जाता है. सिद्धू ने फेसबुक पर पोस्ट किए गए एक वीडियो में दावा किया कि वह कोई योजनाबद्ध कदम नहीं था और उन्हें कोई साम्प्रदायिक रंग नहीं दिया जाना चाहिए जैसा कट्टरपंथियों द्वारा किया जा रहा है.


सिद्धू ने कहा, 'नए कृषि कानूनों के खिलाफ प्रतीकात्मक विरोध दर्ज कराने के लिए, हमने 'निशान साहिब' और किसान झंडा लगाया और साथ ही किसान मजदूर एकता का नारा भी लगाया. 'निशान साहिब' की ओर इशारा करते हुए कहा कि झंडा देश की 'विविधता में एकता' का प्रतिनिधित्व करता है. 'निशान साहिब' सिख धर्म का एक प्रतीक है जो सभी गुरुद्वारा परिसरों में लगा देखा जाता है.


बता दें, किसानों की ट्रैक्टर रैली के दौरान राष्ट्रीय राजधानी के कई हिस्सों में हिंसक झड़पें भी हुईं. ट्रैक्टर, मोटरसाइकिल और कार पर सवार सैकड़ों किसान हाथों में तिरंगा और झंडे लेकर लाल किला परिसर में घुस गए. सुरक्षा बलों और पुलिस कर्मियों की संख्या से अधिक संख्या में किसान जल्द ही स्मारक की प्राचीर पर चढ़ गए और वहां अपना परचम लहराया. राजधानी के विभिन्न हिस्सों में मंगलवार को भड़की हिंसक झड़पों में कम से 83 पुलिसकर्मी और कई किसान घायल हो गए. मध्य दिल्ली में आईटीओ चौराहे के पास नाका मारने के बाद ट्रैक्टर में सवार होकर पलट जाने से एक किसान की भी जान चली गई.


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