भुवनेश्वरः ओडिशा सरकार ने सोमवार को उच्चतम न्यायालय के निर्देश के बाद पुरी में बड़े पैमाने पर कोरोना वायरस जांच अभियान शुरू किया है. एक अधिकारी ने यह जानकारी दी है कि जिसमें भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा के दौरान रथ खींचने वाले लोगों को अनिवार्य रूप से कोविड-19 की जांच करानी होगी और रिपोर्ट निगेटिव होगी, तभी वह यात्रा में भाग ले पाएंगे.
रथ यात्रा में तीन रथ शामिल हैं- भगवान जगन्नाथ की नंदीघोष, भगवान बलभद्र की तालध्वज और देवी सुभद्रा की दर्पदलन. 500 से अधिक लोगों को एक रथ खींचने की अनुमति नहीं है. जिनमें सेवक और सुरक्षाकर्मी शामिल हैं और इसलिए, प्रशासन को तीन रथों को खींचने के लिए 1,500 लोगों की आवश्यकता है.
स्वास्थ्य विभाग के एक अधिकारी ने कहा, ‘‘हमें कम से कम 1,500 लोगों से नमूने एकत्र करने होंगे और मंगलवार सुबह 11 बजे तक जांच करानी होगी क्योंकि रथ खींचने का काम दोपहर 12 बजे से शुरू होगा.’’
बता दें कि भगवान जगन्नाथ का मंदिर उड़ीसा के पुरी में स्थित है. इस पवित्र मंदिर को भारत के चार पवित्र धामों में से एक माना जाता है. यह मंदिर अति प्राचीन है. मान्यता है कि यह पवित्र मंदिर 800 वर्ष से भी अधिक पुराना है. इस मंदिर में विष्णु अवतार भगवान श्रीकृष्ण स्वयं जगन्नाथ रूप में विराजमान हैं.
इस मंदिर में भगवान कृष्ण के बड़े भाई बलराम और उनकी बहन देवी सुभद्रा की पूजा-अर्चना की जाती है. रथ यात्रा में इन तीनों के ही अलग अलग रथ सजाए जाते हैं. जिनकी भव्यता और विशालता देखते बनती हैं. इस रथ यात्रा में सबसे आगे बलदेव यानि बलरामजी का रथ चलता है. इसके बाद देवी सुभद्रा और सबसे अंत में भगवान श्रीकृष्ण यानि जगन्नाथ का रथ चलता है.
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