नई दिल्ली: असम में एनआरसी यानी नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन पर चल रहे विवाद के बीच असम के पूर्व मुख्यमंत्री तरुण गोगोई ने बड़ा बयान दिया है. तरुण गोगोई ने कहा कि पूरे देश में एनआरसी की जरूरत है. हालांकि उन्होंने कहा कि ये उनकी निजी राय है, जिस जगह के लोग चाहते हैं वहां एनआरसी हो. गोगोई ने NRC पर ममता के गृहयुद्ध के बयान का भी समर्थन किया.


उन्होंने कहा कि जिस तरह असम में NRC लागू किया गया उससे वाकई गृहयुद्ध हो जाएगा. गोगोई ने ये भी कहा कि NRC असम की तरह नहीं हो. गोगोई ने NRC के मौजूदा ड्राफ्ट को पैसा, समय, ऊर्जा की बर्बादी करार देते हुए कहा कि उनकी सरकार आएगी तो इस NRC ड्राफ्ट को खारिज कर देगी. गोगोई ने ये भी कहा कि सरकार को तय करना है कि NRC से बाहर रह जाने वाले लोगों का क्या करे.


40 लाख लोग असम के नागरिक नहीं
असम में एनआरसी को नागरिकता से जुड़े 2003 के नियम (नागरिकों का पंजीकरण और उनको पहचान पत्र जारी किया जाना) के तहत अपडेट किया जा रहा है. साल 2015 में 3.29 करोड़ लोगों ने 6.63 करोड़ दस्तावेजों के साथ एनआरसी में अपना नाम शामिल करवाने के लिए आवेदन किया था. इनमें से 2.89 करोड़ को नागरिकता दी गई है. वहीं, 40 लाख के करीब लोग इसमें अपना नाम शामिल नहीं करवा पाए हैं. एनआरसी का फाइनल ड्राफ्ट 30 जुलाई 2018 को जारी हुआ.


इस लिस्ट की बड़ी बात ये है कि ये राज्य के हर नागरिक तक पहुंचा है. वहीं इसके सहारे सरकार को ये पता चला है कि कौन भारत का नागरिक है और कौन अवैध तरीके से भारत में रह रहा है. ये सारी प्रक्रिया सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में पूरी की गई है. देश का सबसे बड़ा कोर्ट लगातार इसकी मॉनिटरिंग करता रहा है. यहां पढ़ें:- NRC: जानिए- असम में नागरिकता का मुद्दा कब उठा, कैसे तूल पकड़ा और कौन है मुश्किल में?