नई दिल्लीः महामारी के दौरान वित्तीय संकट से उबरने के लिए लोगों ने फिक्स्ड डिपॉजीट स्कीम में कम पैसा लगाया. 25 राज्यों के 159 जिलों में जनवरी से मार्च तक फिक्स्ड डिपॉजिट में गिरावट देखने को मिली है. जनवरी से मार्च के बीच फिक्स्ड डिपॉजिट के आंकड़ों को अगर देखें तो पता चलता है कि लोगों ने बैंक में कम पैसे जमा किए हैं. जानकारों का मानना है कि कोरोना महामारी और लॉकडाउन को देखते हुए कम आमदनी के कारण लोग फिक्स्ड डिपॉजिट नहीं कर रहे हैं.


लिक्विडिटी की ज्यादा जरुरत


इंटरनेशनल ग्रोथ सेंटर के कंट्री डायरेक्टर प्रणब सेन ने बताया कि जब लिक्विडिटी की ज्यादा जरूरत होती है तो एफडी निकाल ली जाती हैं. उन्होंने बताया कि कोरोना महामारी और लॉकडाउन के दौरान लोगों के बीच नकदी की संकट देखने को मिली इस कारण ऐसा हुआ.


ऐसी स्थिति पहले कभी नहीं देखी


अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में प्रणब सेन ने कहा''अगर लोगों की मौजूदा हालत को देखें तो यह 2016-17 में विमुद्रीकरण के समय के 18 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर अब 28 लाख करोड़ रुपये हो गया है. ऐसी स्थिति पहले कभी नहीं देखने को मिली. मौजूदा हालात में हाई लिक्वडिटी को दिखाता है.''


आय में कमी


सेन ने बताया कि महामारी के दौरान, बहुत से लोग नौकरी खो रहे हैं. नौकरी जाने के कारण उनकी आय में कमी देखने को मिल रही है. कम कमाई के कारण लोगों की बचत कम कर रही है.


फिक्स्ड डिपॉजिट में कमी


आरबीआई की ओर से जारी हालिया आंकड़ों के विश्लेषण से पता चलता है कि जिन 705 जिलों के डेटा मिले हैं उनमें से 159 ने 2020-21 की अंतिम तिमाही के दौरान बैंकों में फिक्स्ड डिपॉजिट में 0.19 प्रतिशत से 67 प्रतिशत की गिरावट देखी है.


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