एक्सप्लोरर

कई दरारों वाले गठबंधन के साथ नेपाल में प्रचंड फिर बने PM, चीन की चाल पर होगी भारत की नजर

Nepal PM: जानकारों का मानना है कि भारत के लिहाज़ से बेहतर स्थिति यही होती कि नेपाल में शेर बहादुर देऊबा की अगुवाई में सरकार बनती या उनके साथ प्रचंड का गठबंधन बरकरार रहता तो अब क्या स्थिति बन सकती है?

Nepal Politics: नेपाल में एक बार फिर कमजोर गठबंधन और सियासी जोड़तोड़ की सरकार बन गई है. चुनाव पहले के गठबंधन को ताख पर रख पुराने प्रतिद्वंद्वी के पाले में पहुंचे पुष्प कमल दहल के तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने का रास्ता साफ़ हो गया. साथ ही वो हो गया जिसकी चीन काफी समय से कोशिश कर रहा था. यानि केपी ओली और प्रचंड समेत माओवादी नेताओं का बड़े गठजोड़ को सत्ता में बैठाने की.

नेपाल में बीते डेढ़ दशक में 13वीं बार प्रधानमंत्री के शपथ ग्रहण का मंच तैयार हो गया है. ज़ाहिर है 1850किमी लंबी खुली सीमा साझा करने वाले नेपाल में सत्ता बदलाव के भारत के लिए भी कई मायने हैं. साथ ही यह भी साफ़ है कि काठमांडू का क़िला संभालने जा रहे प्रचंड के लिए भारत से न तो मुंह मोड़ना मुमकिन होगा और न ही उसके ख़िलाफ़ जाना.

सरकार में खींचतान की संभावना?

हालांकि प्रचंड के राजनीतिक अतीत और गठबंधन की दरारों के बीच आशंका के कई सवाल भी खड़े  हैं. सवाल नई सरकार के राजनीतिक अंतर्विरोध के भी हैं क्योंकि प्रचंड की अगुवाई में बनने जा रही सरकार माओवादियों के साथ-साथ राष्ट्रीय प्रजातांत्रिक पार्टी जैसी राजशाही का समर्थन करने वाली पार्टी के सहारे टिकी है. ऐसे में एक तरफ़ जहां प्रचंड और ओली के लिए पूरी तरह चीन की गोदी में बैठना मुमकिन नहीं होगा लेकिन साथ ही यह भी साफ़ है कि खींचतान के मुद्दे पहले ही इस सरकार के साथ लिख गए हैं.

दरअसल, नेपाल में नवंबर 2022 में हुए चुनावों में किसी भी एक पार्टी को बहुमत नहीं मिला. नेपाल की संसद के 275 सदस्यों वाले निचले सदन में अभी तक शेरबहादुर देउबा की अगुवाई वाली नेपाली कांग्रेस केवल 89 सीटें ही हासिल कर पाई. जबकि प्रचंड के माउइस्ट सेंटर को 32 और केपी शर्मा ओली की पार्टी CPN(UML) को 78 सीटें हासिल हुई. ऐसे में बहुमत के लिए ज़रूरी 138 का आंकड़ा गठबंधन के समीकरणों से ही मुमकिन है.

इस सरकार से भारत को क्या मिलेगा?

जानकारों का मानना है कि भारत के लिहाज़ से बेहतर स्थिति यही होती कि शेर बहादुर देऊबा की अगुवाई में सरकार बनती या उनके साथ प्रचंड का गठबंधन बरकरार रहता लेकिन पहले प्रधानमंत्री बनने को लेकर जिस तरह देउबा और प्रचंड के बीच रस्साकशी चली उसने गठबंधन लड़खड़ा दिया. वहीं ओली के प्रस्ताव ने प्रचंड के पीएम बनने का दरवाज़ा खोल दिया. वहीं नए गठबंधन का समीकरण बना दिया. ध्यान रहे कि प्रधानमंत्री की कुर्सी और कार्यकाल को लेकर उठे विवाद पर ही पिछली संसद के कार्यकाल में देउबा और ओली अलग हुए थे.

माना जा रहा है कि इस नए गठजोड़ के पीछे हाल के दिनों में माउइस्ट सेंटर के चीफ़ व्हीप गुरुंग थापा की हालिया चीन यात्रा की भी भूमिका अहम मानी जा रही है. यानि अंदरखाने यह कोशिश काफ़ी समय से चल रही थी कि माओवादी दल एक साथ आ जाएं.

भारत के लिए कितनी चिंता?

स्वाभाविक तौर पर भारत की चिंता ऐसे में बढ़ जाती हैं. ख़ासतौर पर प्रचंड और ओली के चीन समर्थक रवैये का राजनीतिक इतिहास देखते हुए. ओली अपनी राजनीतिक कुर्सी बचाने के लिए भारत के साथ लिपुलेख सीमा विवाद से लेकर भगवान राम के नेपाल में जन्म जैसे बयानों का बवंडर उठा चुके है. वहीं प्रचंड भी अपने पिछले कार्यकालों के दौरान चीन से करीबी दिखाते रहे हैं.

यह बात और है कि सत्ता की कुर्सी से हटने के बाद प्रचंड हों या ओली भारत का रुख़ करते रहे हैं. परिवार की मेडिकल ज़रूरतों के साथ-साथ भारत में राजनीतिक संपर्कों को साधने की क़वायदें भी करते रहे हैं. नेपाल में भारत सबसे बड़ा विदेशी निवेशकों में से एक है जिसकी 150 से अधिक भारतीय कंपनियां कारोबार कर रही हैं.

इसके अलावा 2015 के भूकंप के बाद पुनर्निमाण में आर्थिक मदद आदि के लिए भारत समर्थन देता रहा है. भारत का विभिन्न विकास परियोजनाओं में भी निवेश है. ऐसे में स्वाभाविक तौर पर फ़िक्र इस बात को लेकर होगी कि कहीं चीन से चलने वाली हवाएं ही काठमांडू में चलने वाले कामकाज और कारोबार का रुख़ न तय करने लग जाएं.

ये भी पढ़ें: नेपाल की सत्ता में एक बार फिर बनी माओवादी सरकार, तीसरी बार PM पद की शपथ लेंगे प्रचंड

और देखें
Advertisement
Advertisement
25°C
New Delhi
Rain: 100mm
Humidity: 97%
Wind: WNW 47km/h
Advertisement

टॉप हेडलाइंस

Israel-Lebanon War: लेबनान पर फिर बरसा इजरायल का कहर! एयर स्ट्राइक में बच्चों समेत 40 की मौत
लेबनान पर फिर बरसा इजरायल का कहर! एयर स्ट्राइक में बच्चों समेत 40 की मौत
गोरखपुर की सड़कों पर दिखा कांग्रेस का 'मोहब्बत की दुकान' वाला पोस्टर, सबसे अलग है स्लोगन
गोरखपुर की सड़कों पर दिखा कांग्रेस का 'मोहब्बत की दुकान' वाला पोस्टर, सबसे अलग है स्लोगन
Bhool Bhulaiyaa 3 Box Office Collection Day 9: 'रूह बाबा' ने 'सिंघम' को चटाई धूल, देखें 'भूल भुलैया 3' का धांसू कलेक्शन
'रूह बाबा' ने 'सिंघम' को चटाई धूल, देखें 'भूल भुलैया 3' का धांसू कलेक्शन
बड़े टोपीबाज हो बेटा! शख्स ने गधे के दूध के नाम पर 200 किसानों को लगाया चूना, चली गजब की चाल
बड़े टोपीबाज हो बेटा! शख्स ने गधे के दूध के नाम पर 200 किसानों को लगाया चूना, चली गजब की चाल
Advertisement
ABP Premium

वीडियोज

Baba Bageshwar Exclusive: 'सनातन सबका बाप है...' बाबा बागेश्वर का ऐसा इंटरव्यू नहीं देखा होगा | ABPSandeep Chaudhary : नेताओं के जहरीले बोल...EC का कब हल्लाबोल? BJP | Congress | CM Yogi | BreakingMahaKumbh 2025: महाकुंभ में गैर हिंदुओं की एंट्री पर बैन ? | ABP News | Prayagraj NewsMaharashtra Election 2024 : महाराष्ट्र में 'मुस्लिम वोट' का 'सौदा'? वोट लो...बदले में आरक्षण दो?

फोटो गैलरी

पर्सनल कार्नर

टॉप आर्टिकल्स
टॉप रील्स
Israel-Lebanon War: लेबनान पर फिर बरसा इजरायल का कहर! एयर स्ट्राइक में बच्चों समेत 40 की मौत
लेबनान पर फिर बरसा इजरायल का कहर! एयर स्ट्राइक में बच्चों समेत 40 की मौत
गोरखपुर की सड़कों पर दिखा कांग्रेस का 'मोहब्बत की दुकान' वाला पोस्टर, सबसे अलग है स्लोगन
गोरखपुर की सड़कों पर दिखा कांग्रेस का 'मोहब्बत की दुकान' वाला पोस्टर, सबसे अलग है स्लोगन
Bhool Bhulaiyaa 3 Box Office Collection Day 9: 'रूह बाबा' ने 'सिंघम' को चटाई धूल, देखें 'भूल भुलैया 3' का धांसू कलेक्शन
'रूह बाबा' ने 'सिंघम' को चटाई धूल, देखें 'भूल भुलैया 3' का धांसू कलेक्शन
बड़े टोपीबाज हो बेटा! शख्स ने गधे के दूध के नाम पर 200 किसानों को लगाया चूना, चली गजब की चाल
बड़े टोपीबाज हो बेटा! शख्स ने गधे के दूध के नाम पर 200 किसानों को लगाया चूना, चली गजब की चाल
इस विटामिन की कमी से लगने लगती है सर्दी, चाहिए गर्मी का एहसास तो करें ये काम
इस विटामिन की कमी से लगने लगती है सर्दी, चाहिए गर्मी का एहसास तो करें ये काम
SC On Bulldozer Justice: किसी अधिकारी को नहीं है बेरोकटोक मकान गिराने की इजाज़त, बुलडोजर से डरा कर नहीं दबा सकते लोगों की आवाज : सुप्रीम कोर्ट
'बुलडोजर से डरा कर नहीं दबा सकते लोगों की आवाज', सुप्रीम कोर्ट ने किसे लगाई फटकार?
सफेद चूने से क्यों रंगे जाते हैं पेड़? जान लीजिए आज
सफेद चूने से क्यों रंगे जाते हैं पेड़? जान लीजिए आज
यूपी के इस गांव में 35 से ज्यादा कुंवारी लड़कियां हो गईं प्रेग्नेंट! परिजनों के उड़े होश
यूपी के इस गांव में 35 से ज्यादा कुंवारी लड़कियां हो गईं प्रेग्नेंट! परिजनों के उड़े होश
Embed widget