Bharat Ratna: एक ऐसा प्रधानमंत्री जिसे किया गया सबसे ज्यादा नजरअंदाज, जानिए कैसे अपनी ही पार्टी ने बनाई उनसे दूरी
Bharat Ratna: राजनीतिक जानकार बताते हैं कि पीवी नरसिम्हा राव को उनकी पार्टी ने काफी नजरअंदाज किया. यहां तक कि मृत्यु के बाद भी उनको उस पार्टी के मुख्यालय से दूर रखा गया, जिसके वे कभी मुखिया थे.
P. V. Narasimha Rao Bharat Ratna: पूर्व प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव को आज भारत रत्न पुरस्कार के लिए चुना गया है. यूं तो नरसिम्हा राव को भारत के आर्थिक सुधार का जनक कहा जाता है. लेकिन इसी के साथ वह ऐसे भी प्रधानमंत्री भी थे जिन्हें सबसे ज्यादा गलत समझा गया और शायद सबसे ज्यादा नजरअंदाज भी किया गया. कई राजनीतिक जानकार बताते हैं कि उन्हें खुद उनकी पार्टी ने भी काफी नजरअंदाज किया. यहां तक कि मृत्यु के बाद भी पीवी नरसिम्हा राव को उस पार्टी के मुख्यालय से दूर रखा गया, जिसके वो कभी मुखिया थे.
पीवी नरसिम्हा राव का दिल्ली में 9 मोतीलाल नेहरू मार्ग स्थित आवास कांग्रेस के 24 अकबर रोड मुख्यालय से बमुश्किल 200 मीटर की दूरी पर था, लेकिन 1996 के लोकसभा चुनाव में हार के बाद उन्हें एक बार भी पार्टी कार्यालय में नहीं देखा गया. एक वाकया तो ये भी है कि 23 दिसंबर 2004 को निधन हो जाने के बाद नरसिम्हा राव का पार्थिव शरीर थोड़ी देर के लिए कांग्रेस कार्यालय में रखा जाना था, ताकि पार्टी के कार्यकर्ता उनके अंतिम दर्शन कर सकें, लेकिन पार्थिव शरीर को ले जाने वाली फूलों से सजी सेना की गाड़ी अंदर तक नहीं जा पाई थी.
ऐसा रहा राजनीतिक सफर
पीवी नरसिम्हा राव 1991 से 1996 तक भारत के 9वें प्रधानमंत्री रहे. इससे पहले वह आंध्र प्रदेश सरकार में 1962 से 1964 तक कानून एवं सूचना मंत्री रहे. इसके बाद 1964 से 1967 तक कानून एवं विधि मंत्री रहे. उन्हें 1967 में स्वास्थ्य एवं चिकित्सा मंत्री बनाया गया. 1968 से 1971 तक वह शिक्षा मंत्री रहे. इसके बाद नरसिम्हा राव 1971 से 1973 तक आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे.
साल 1975 में उन्हें अखिल भारतीय कांग्रेस समिति का महासचिव बनाया गया. उन्होंने 1968 से 1974 तक आंध्र प्रदेश की तेलुगू अकादमी के अध्यक्ष का पद भी संभाला. नरसिम्हा राव 1957 से 1977 तक आंध्र प्रदेश विधानसभा के सदस्य रहे. वो 1977 से 1984 तक लोकसभा के सदस्य रहे. दिसंबर 1984 में नरसिम्हा राव रामटेक से आठवीं लोकसभा के लिए सांसद चुने गए. 14 जनवरी 1980 से 18 जुलाई 1984 तक वो देश के विदेश मंत्री रहे. 19 जुलाई 1984 से 31 दिसंबर 1984 तक उनके पास केंद्र में गृह मंत्रालय की जिम्मेदारी रही. 31 दिसंबर 1984 से 25 सितंबर 1985 तक नरसिम्हा राव को रक्षा मंत्रालय का चार्ज दिया गया. 25 सितंबर 1985 को वो मानव संसाधन विकास मंत्री चुने गए.
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