P V Narasimha Rao Birth Anniversary: 90 के दशक में देश में कांग्रेस के गैर गांधी परिवार के एक प्रधानमंत्री हुए जिनका नाम था नरसिम्हा राव. कहा जाता है कि उनको टेक्नॉलॉजी के प्रति गहरा झुकाव था. यही वजह रही कि उम्र के अंतिम पायदान में भी उन्होंने अपना अच्छा-खासा समय तब की कंप्यूटर क्रांति को समझने में लगाया और उसमें महारत भी हासिल की.
लेकिन सवाल यह आता है कि आखिर देश के पूर्व पीएम को टेक्नॉलजी के क्षेत्र में महारत हासिल करने की सूझी ही क्यों, तो इसका जवाब बीबीसी की एक रिपोर्ट से पता चलता है. इस रिपोर्ट की मानें तो वह साल 1986 था और तब राव तत्कालीन पीएम राजीव गांधी की कैबिनेट में देश के रक्षा मंत्री हुआ करते थे, और उनका कंप्यूटर का ज्ञान न के बराबर थे.
ये वही साल था जब युवा पीएम राजीव गांधी भारत में टेक्नॉलजी लाने के लिए काफी कर रहे थे. इसी दौरान अपने एक मित्र से बात करते हुए राजीव गांधी ने कह दिया वो देश में इलेक्ट्रॉनिक कंप्यूटर के आयात की अनुमति देना चाहते हैं लेकिन न जाने पार्टी के वरिष्ठ सदस्य इस बात को किस रूप में लेंगे, उन लोगों को तकनीकी की समझ नहीं है.
राव को यह बात अंदर ही अंदर चुभ गई. उन्होंने उसी शाम अपने बेटे को फोन किया. उनके बेटे प्रभाकर उन दिनों कंप्यूटर टेक्नोलॉजी से जुड़ी एक कंपनी खोलने की प्रक्रिया में थे. उन्होंने उसे कंप्यूटर का एक प्रोटोटाइप कंप्यूटर उनसे दिल्ली भेजने को कहा. इसके साथ ही प्रभाकर ने उनको कंप्यूटर सिखाने के लिए एक टीचर भी भेजा.
किताबें पढ़कर सीखी प्रोग्रामिंग
पीवी नरसिम्हा राव को अपने कंप्यूटर टीचर पसंद नहीं आए और उन्होंने अपने बेटे को कंप्यूटर चलाने के लिए कुछ मैनुअल किताबें भेजने को कहा. नरसिम्हा राव को टेक्नॉलजी की समझ थी, इसलिए उन्होंने उन किताबों को पढ़कर कंप्युटर का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया. प्रभाकर बताते है कि छह महीनों में ही उन्होंने कंप्यूटर, प्रोग्रामिंग, टाईपिंग और उससे जुड़ी हुई बहुत सारी चीजें सीख लीं.
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