चौथे क्वॉड सम्मेलन में भाग लेने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 24 मई को जापान जाएंगे. इसी दिन वह अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन, ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन और जापान के पीएम फुमिओ किशिदा से मुलाकात करेंगे. उनकी जो बाइडेन के साथ द्विपक्षीय वार्ता भी होगी. यह जानकारी भारतीय विदेश मंत्रालय ने दी है. क्वॉड के अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, भारत और जापान सदस्य हैं.


विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा, ये हिन्द प्रशांत क्षेत्र और परस्पर हित के दूसरे विश्व मुद्दों पर विचार साझा करने का अच्छा अवसर होगा. बागची ने बताया कि अपने दौरे पर पीएम मोदी जापानी बिजनेस लीडर्स के साथ एक बिजनेस इवेंट में हिस्सा लेंगे. वह जापान में भारतीय समुदाय से मिलेंगे और उन्हें संबोधित भी करेंगे. पीएम मोदी ऑस्ट्रेलियाई पीएम के साथ भी द्विपक्षीय वार्ता करेंगे.


वहीं अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन दक्षिण कोरिया और जापान की छह दिन की यात्रा पर रवाना हो गये हैं. उनकी इस यात्रा का मकसद दोनों देशों के नेताओं के साथ संबंधों को मजबूत करना है, वहीं चीन को यह संदेश देना भी है कि यूक्रेन पर रूस के हमले को देखते हुए बीजिंग को प्रशांत क्षेत्र में अपनी गतिविधियों को विराम देना चाहिए.


बाइडन गुरुवार को रवाना हुए. वह इस दौरान दक्षिण कोरिया के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति यून सुक येओल और जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा से मुलाकात कर सकते हैं. उनकी बातचीत में व्यापार, ग्लोबल सप्लाई सीरीज में बढ़ती मजबूती, उत्तर कोरिया के परमाणु कार्यक्रम के बारे में बढ़ती चिंताएं और उस देश में कोविड-19 के प्रकोप जैसे विषय आ सकते हैं.


अमेरिका ने लोकतांत्रिक देशों का एक गठबंधन बनाया है ताकि रूस को यूक्रेन पर हमले की कीमत चुकाने के लिए विवश किया जा सके. इस गठबंधन में दक्षिण कोरिया और जापान भी हैं. बाइडेन जानते हैं कि चीन की बढ़ती महत्वाकांक्षाओं का जवाब देने के लिए उन्हें इन देशों के साथ संबंध मजबूत करने होंगे.


व्हाइट हाउस के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन ने कहा, 'हमारा मानना है कि यह यात्रा राष्ट्रपति बाइडेन की हिंद-प्रशांत क्षेत्र की रणनीति को पूरी तरह प्रदर्शित करेगी और यह भी दर्शाएगी कि यूक्रेन में रूस के हमलों पर जवाब देने में अमेरिका नेतृत्व कर सकता है. '


बाइडेन की विदेश यात्रा ऐसे समय में हो रही है, जब घरेलू स्तर पर उन्हें अनेक चुनौतियों से जूझना पड़ रहा है. उनके शासनकाल में चीन ने सैन्य प्रभुत्व और बढ़ाने का प्रयास किया है.


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