विश्व के कई अन्य देशो की तरह भारत भी कोरोना वायरस से जंग लड रहा है. कोरोना की रफ्तार को रोकने के लिए पूरे देश में लॉकडाउन किया गया था. इस दौरान अंतरराष्ट्रीय उड़ानों पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया था. हालांकि अब काफी कुछ अनलॉक हो चुका है. इसी के साथ कुछ देशों के लिए अंतर्राष्ट्रीय उड़ाने भी शुरू कर दी गई हैं.


ऐसे में कोरोना के खतरे को देखते हुए विदेशों से भारत आ रहे लोगों को होमक्वारंटाइन करने के उद्देश्य से उनके हाथों पर एयरपोर्ट पर इंक से स्टैंप लगाई जा रही है. लेकिन बता दें कि एयरपोर्ट पर हाथों पर लगाई जा रही स्टैंप की इंक को लेकर पूर्व सांसद और कांग्रेस के प्रवक्ता मधु गौड़ याक्षी ने सवाल खड़े कर दिए थे. दरअसल रविवार को उन्होने खराब इंक की शिकायत केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी से की थी. जिसके बाद सोमवार को दिल्ली एयरपोर्ट पर खराब इंक के पूरे बैच को ही हटा दिया गया.

https://twitter.com/MYaskhi/status/1312648008077459457

केंद्रीय मंत्री से स्याही की शिकायत
कांग्रेस के पूर्व सांसद मधु गौड़ ने अपने ट्विटर अकाउंटर पर रविवार को अपने हाथ पर लगी स्टैंप की दो तस्वीरें अपलोड की थी. उन्होने केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी को टैग करते हुए शिकायत की थी कि एयरपोर्ट पर इस्तेमाल हो रहे स्टैंप की इंक से उनके हाथों पर रिएक्शन हो गया. उन्होने ट्वीट कर अपनी शिकायत में लिखा था कि, ' प्रिय हरदीप सिंह पुरी जी, क्या आप विदेश से भारत आने वाले यात्रियों के हाथों में एयरपोर्ट पर लगाए जा रहे स्टैंप में इस्तेमाल किए जा रहे केमिकल पर गौर फरमाएंगें. कल मेरे हाथों पर दिल्ली एयरपोर्ट पर स्टैंप लगाया गया था. और अब देखिए इनकी क्या हालत हो गई है.'


खराब इंक के पूरे बैच को हटाया गया है
कांग्रेस के पूर्व सासंद की शिकायत का तत्काल उत्तर देते हुए केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने भी ट्वीट किया. उन्होने अपने ट्वीट में लिखा कि, ' मधु गौड़ याक्षी जी मेरा ध्यान इस तरफ आकृष्ट करने के लिए शुक्रिया. मैं इस बारे में एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया के सीएमडी से बात करूंगा.' इसी के बाद सोमवार को दिल्ली एयरपोर्ट पर खराब इंक के पूरे बैच को हटा दिया गया था.


इस बाबत एक अधिकारी ने जानकारी दी कि, ‘शिकायत के बाद अधिकारियों ने अंतरराष्ट्रीय मुसाफिरों के हाथों पर स्टैंप इंक के नए बैच का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है’. नियमों के मुताबिक अंतरराष्ट्रीय उड़ान वाले यात्रियों को सात दिन के इंस्टीट्यूशनल क्वारंटाइन का पालन करना होता है. इसके बाद अगले सात दिनों के लिए उन्हे घर पर क्वारंटाइन रहना होता है. हालांकि इंस्टीट्यूशनल क्वारंटाइन से उन लोगों को छूट दी जाती है जिनके पास कोरोना की निगेटिव रिपोर्ट होती है और वह टेस्ट 96 घंटे से ज्यादा पुराना नहीं होता है.