वैक्सीन से पहली मौत: सवाल ये कि टीका कितना जानलेवा है? जानिए- भारत सरकार का जवाब
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की बनाई कमिटी ने कोरोना की वैक्सीन लगने के बाद जानलेवा एलर्जी की वजह से मृत्यु के पहले मामले की पुष्टि की. इसके बाद टीके को लेकर उठे सवालों का मंत्रालय ने जवाब देते हुए कहा कि टीकाकरण से मौत का आंकड़ा 0.0002 फीसदी है. मंत्रालय के अनुसार, कोरोना से होने वाली मौतों की तुलना में वैक्सीनेशन से मृत्यु होने की रिस्क बहुत कम है.
नई दिल्लीः देश में कोरोना की वैक्सीन लगने के बाद तबीयत खराब होने की कई घटनाएं सामने आईं. इसके साथ ही वैक्सीनेशन के बाद कुछ लोगों की मौत होने का दावा किया गया. वहीं, स्वास्थ्य मंत्रालय ने मंगलवार को ऐसी रिपोर्ट्स का खंडन किया है. मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया था कि 16 जनवरी से 7 जून तक 488 लोगों की मौत कोविड के बाद की समस्याओं से संबंधित थी. इन लोगों का पहले वैक्सीनेशन हो चुका था. लेकिन कल सरकार के एक पैनल की रिपोर्ट में वैक्सीन से एक मौत की पुष्टि की गई.
मंत्रालय ने कहा कि लगभग 23.5 करोड़ टीके के डोज़ लगाए गए हैं इनमें मौत का आंकड़ा 0.0002 फीसदी है. यह एक तय आबादी में होने वाली मौतों के आंकड़े के भीतर ही है. मंत्रालय के मुताबिक, किसी भी जनसंख्या में की एक तय आबादी में एक तयशुदा मृत्यु दर होती है. वैक्सीन लेने वाले में मौत का आंकड़ा 0.0002 फीसदी है और ये आंकड़ा एक सामान्य है और किसी भी आबादी में होने वालीं होने वाली मौतों के अंदर ही है.
कोरोना से होने वाली मौत की तुलना में टीकाकरण से मृत्यु होने की रिस्क बहुत
कोविड-19 मृत्यु दर का आंकड़ा एक फीसदी से ज्यादा है और टीककरण से कोरोना से होने वाली मौतों को रोका जा सकता है. मंत्रालय ने यह भी कहा कि कोरोना से होने वाली मौतों की तुलना में टीकाकरण से मृत्यु होने की रिस्क बहुत कम है.
कमिटी ने वैक्सीन लगने के बाद एक सिर्फ एक मौत की पुष्टि की
गौरतलब है कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा बनाई कमिटी नेशनल एडवर्स इवेंट्स फॉलोविंग इम्यूनाइजेशन ने हाल ही में माना कि कोरोना की वैक्सीन लगने के बाद देश अब तक सिर्फ एक व्यक्ति की मौत हुई है. कमिटी ने टीकाकरण के बाद ऐनफलैक्सिस (जानलेवा एलर्जी) की वजह से मृत्यु के पहले मामले की पुष्टि की है.
कोविड-19 का टीका लगाये जाने के बाद प्रतिकूल प्रभावों (एईएफआई) से मौत के 31 गंभीर मामलों का कमिटी ने मूल्यांकन किया. कमिटी की रिपोर्ट के अनुसार 68 साल के एक व्यक्ति को 8 मार्च, 2021 को टीका लगाया गया था, जिसके बाद गंभीर एलर्जी होने से उनकी मृत्यु हो गई.
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