नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे का उद्घाटन किया. इस एक्सप्रेसवे के बारे में दर्शकों ने हमसे कई अहम सवाल पूछे हैं.


दर्शकों और पाठकों से जुड़ने के लिए एबीपी न्यूज ने एक नई पहल की है. दिन की ताजा खबर पर दर्शकों के मन में कोई सवाल है तो अब वो सीधे हमसे पूछ सकते हैं. एबीपी न्यूज की टीम दर्शकों के हर सवाल का जवाब देने की पूरी कोशिश करेगी.

सवाल – ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे की इतनी चर्चा क्यों है? इसकी अहम खूबियां क्या हैं और इससे देश को क्या फायदा होगा? (घनश्याम राजोरा, नीमच; अब्दुल्ला, मुंबई)

जवाब - ये भारत का पहला स्मार्ट एक्सप्रेस वे है, जिसमें अत्याधुनिक तकनीक और लाइटिंग के लिए सोलर पावर का इस्तेमाल किया गया है. इसमें इलेक्ट्रॉनिक टोल कलेक्शन की सुविधा भी है, जिससे ट्रैफिक जाम कम होगा. ये पहला एक्सप्रेसवे है, जिसका 'वे-इन-मोशन ब्रिज’ से लैस डिजिटल सिस्टम ओवरलोडेड ट्रकों की आवाजाही पर रोक लगाएगा. इससे प्रदूषण, सड़क हादसों और सड़क को होने वाले नुकसान तीनों में कमी आएगी. ये देश का पहला एक्सप्रेसवे है, जिसमें बगीचे और 35 प्रोजेक्टर से लैस डिजिटल आर्ट गैलरी है. सड़क के किनारे देश के प्रमुख स्मारकों की प्रतिकृतियां भी बनाई गई हैं. यात्रियों के लिए कैंटीन, रेस्ट रूम, पेट्रोल पंप और वॉशरूम की सुविधा भी दी गई है. दोनों तरफ लाखों पेड़ लगाए गए हैं और रेन वाटर हार्वेस्टिंग का इंतजाम भी किया गया है. इस एक्सप्रेसवे से देश की राजधानी दिल्ली में प्रदूषण घटाने में मदद मिलेगी. साथ ही सामानों की ढुलाई में लगने वाला वक्त और खर्च भी कम होगा. ये एक्सप्रेसवे देश के विकास का एक महत्वपूर्ण पड़ाव है.

सवाल – ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे कहां से कहां तक बना है और इससे यात्रा करने पर कितना समय बचेगा? (प्रवीण सिरवी, मुंबई)

जवाब - 135 किलोमीटर लंबा ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे हरियाणा में सोनीपत के कुंडली से बागपत, गाजियाबाद, नोएडा के रास्ते पलवल तक जाता है. इस एक्सप्रेसवे पर कारों को 120 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलने की इजाजत दी गई है, जिससे लोग 4 घंटे का सफर करीब सवा घंटे मिनट में पूरा कर पाएंगे. यानी उनके करीब पौने तीन घंटे बच जाएंगे.

सवाल – इसका शिलान्यास किसने किया था और निर्माण किस सरकार के कार्यकाल में शुरू हुआ? इसे बनाने में कितना खर्च और वक्त लगा? (अशोक पवार, इंदौर; जियाउल मुस्तफा, मुजफ्फरपुर; मुकेश कुमार, पीलीभीत; नैनसिंह परमार, राजसमंद)

जवाब - ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेस वे की आधारशिला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नवंबर 2015 में रखी थी. ये एक्सप्रेस वे 135 किलोमीटर लंबा है और इसे बनाने में करीब 11 हजार करोड़ रुपये की लागत आई है. इस एक्सप्रेसवे को 910 दिनों में बनाने का लक्ष्य रखा गया था, लेकिन ये करीब 500 दिन में ही बनकर तैयार हो गया, जो एक रिकॉर्ड है.

सवाल – क्या इस एक्सप्रेसवे से दिल्ली में जाम की समस्या से निजात मिलेगी ? (विजय प्रकाश गुप्ता, काला अंब, हिमाचल प्रदेश)

जवाब – ईस्टर्न पेरीफेरल एक्सप्रेसवे दिल्ली के बाहर-बाहर बना है, जिसकी वजह से कुंडली से पलवल के बीच जाने-आने वाले यात्रियों और कमर्शियल वाहनों को दिल्ली में एंट्री करने की जरूरत नहीं होगी. इससे हर दिन करीब 25 हजार ट्रक बिना दिल्ली आए अपना सफर तय कर लेंगे जबकि 45 हजार कारों को अपनी मंजिल के लिए दिल्ली होकर नहीं जाना पड़ेगा. लिहाजा, दिल्ली-एनसीआर में गाड़ियों की भीड़ कम होगी और जाम की समस्या घटेगी. इससे दिल्ली में जहरीले धुएं से फैलने वाला प्रदूषण भी कम होगा. अनुमान है कि इससे दिल्ली में होने वाले गाड़ियों के प्रदूषण में 50 फीसदी की कमी आएगी.

सवाल – ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे से कितने राज्य जुड़े हैं? क्या इससे सामानों की ढुलाई भी होगी ? (बाबूभाई, अहमदाबाद)

जवाब - ईस्टर्न पेरीफेरल एक्सप्रेसवे उत्तर प्रदेश और हरियाणा के 6 शहरों को आपस में जोड़ेगा. इससे न सिर्फ यात्रियों का सफर आसान होगा, बल्कि छोटे-बड़े कमर्शियल वाहनों से सामानों की ढुलाई भी होगी. जिससे ट्रांसपोर्टेशन में लगने वाले वक्त और लागत दोनों की बचत होगी. ई-टोल और 'वे-इन-मोशन ब्रिज’ की वजह से माल ढुलाई का काम बेहतर ढंग से हो पाएगा.

सवाल – ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेस-वे केंद्र सरकार ने बनवाया है या राज्य सरकार ने ?

(कामयाब जाफरी, कानपुर)

जवाब – ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेस-वे के लिए बजट केंद्र सरकार ने अगस्त 2015 में मंजूर किया था. ये मंजूरी देशभर के अलग-अलग इलाकों में करीब 1 हजार किलोमीटर लंबे एक्सप्रेस-वे के निर्माण के लिए स्वीकृत कुल 16 हजार 800 करोड़ रुपये के बजट के तहत दी गई थी. बजट की स्वीकृति के बाद ही इस पर तेजी से काम शुरू हो गया और रिकॉर्ड समय में इसे पूरा भी कर लिया गया.