नई दिल्ली: चीन से जुड़ी व्यापार नीति में स्पष्टता की मांग करने वाले याचिका की कॉपी सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को सौंपने के लिए कहा है. याचिकाकर्ता ने कुछ राज्य सरकारों के चीनी कंपनियों के साथ करार करने पर सवाल उठाया था.


जम्मू की रहने वाली सुप्रिया पंडिता की याचिका में कहा गया था कि चीन के साथ तनातनी के बीच केंद्र सरकार ने चीनी मोबाइल ऐप पर प्रतिबंध लगाया है. इसके पीछे वजह बताई गई कि इन ऐप के ज़रिए निजी जानकारियों की चोरी हो रही है. लेकिन एक बड़ी वजह चीन के साथ व्यापार में कटौती भी थी. एक तरफ लोगों से चाइनीज़ ऐप का इस्तेमाल बंद करने को कहा जा रहा है. दूसरी तरफ महाराष्ट्र, गुजरात जैसे राज्य चीनी कंपनियों के साथ MOU पर दस्तखत कर रहे हैं. भारत की कुछ निजी कंपनियां भी चीन की कंपनियों के साथ व्यापारिक समझौते कर रही हैं. यह सही नहीं है. इन समझौतों को रद्द होना चाहिए. केंद्र सरकार से भी कहना चाहिए कि वह चीन के साथ अपनी वाणिज्य नीति को साफ करे.


सुप्रीम कोर्ट में यह मामला आज चीफ जस्टिस एस ए बोबड़े, जस्टिस ए एस बोपन्ना और वी रामासुब्रमण्यम की बेंच में लगा. बेंच ने याचिकाकर्ता के वकील से सवाल किया कि याचिका का आधार क्या है. जजों के कहना था कि सिर्फ मीडिया रिपोर्ट के आधार पर दाखिल याचिका की सुनवाई नहीं हो सकती.


कोर्ट के सवाल पर वकील ने जवाब दिया कि कुछ राज्यों ने वाकई चीनी कंपनियों को अहम प्रोजेक्ट में काम देने के लिए करार किया है. यह सार्वजनिक तथ्य है. इस पर कोर्ट ने वकील से कहा कि वह केंद्र सरकार को याचिका की कॉपी दे दें. फिर देखा जाएगा कि इस पर क्या करना है. कोर्ट ने फिलहाल अगली सुनवाई की तारीख तय नहीं की है.