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इमरजेंसी इस्तेमाल की मंज़ूरी के बाद वैक्सीन पर उठाए जा रहे हैं सवाल, जानिए एम्स के डॉक्टरों ने क्या जवाब दिया है

एम्स में कम्यूनिटी मेडिसिन डिपार्टमेंट के डॉ संजय राय जो कि एम्स में चल रहे इस वैक्सीन ट्रायल के प्रिंसिपल इन्वेस्टिगेटर भी हैं, उनके मुताबिक वैक्सीन का एनिमल ट्रायल हुआ है. उसके बाद पहले चरण का ट्रायल हुआ जो कि सेफ्टी देखने के लिए होता है. उसमें ये वैक्सीन सेफ पाई गई है.

दिल्ली: भारत में कोरोना की दो वैक्सीन को डीसीजीआई की ओर से रेस्ट्रिक्टेड इमरजेंसी यूज की अनुमति दे दी गई है. ये दो वैक्सीन भारत बायोटेक इंटरनेशनल लिमिटेड की Covaxin और सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया की कोविशील्ड है. लेकिन इस बीच भारत बायोटेक की वैक्सीन की मंजूरी को लेकर कई सवाल उठने लगे हैं.

दिल्ली के एम्स अस्पताल में इस वैक्सीन का क्लीनिकल ट्रायल कर रहे डॉक्टरों के मुताबिक वैक्सीन पहले और दूसरे चरण में सेफ और इम्युनोजेनेटिक पाई गई है. वहीं अब तक हुए तीसरे चरण के ट्रायल के डाटा से संतुष्ट होने के बाद डीसीजीआई ने अनुमति दी है. वहीं उनका ये भी कहना है की अब तक जितनी भी वैक्सीन को मंजूरी मिली है वो भी तीसरे चरण में है और ट्रायल जारी है.

दोनों चरणों को एनालिसिस के बाद ही तीसरे चरण की अनुमति दी गई- डॉ. सजय राय

एम्स में कम्यूनिटी मेडिसिन डिपार्टमेंट के डॉ संजय राय जो कि एम्स में चल रहे इस वैक्सीन ट्रायल के प्रिंसिपल इन्वेस्टिगेटर भी हैं, उनके मुताबिक वैक्सीन का एनिमल ट्रायल हुआ है. उसके बाद पहले चरण का ट्रायल हुआ जो कि सेफ्टी देखने के लिए होता है. उसमें ये वैक्सीन सेफ पाई गई है. दूसरे चरण के ट्रायल में इस वैक्सीन में प्रतिरक्षाजनकता भी थी. दोनों चरणों के नतीजों को एनालिसिस करने के बाद ही डीसीजीआई ने तीसरे चरण की मंजूरी दी. वहीं वैक्सीन के इमरजेंसी यूज ऑथोराइजेशन के दौरान भी तीसरे चरण का डाटा दिया गया था, जिसे एनालिसिस किया सब्जेक्ट एक्सपर्ट कमेटी और डीसीजीआई ने.

उन्होंने कहा, "किसी भी वैक्सीन के ट्रायल के कई चरण होते हैं. सबसे पहले इसे जानवरों पर किया जाता है और उसके बाद पहले दूसरे और तीसरे चरण के ट्रायल होते हैं. तीसरे चरण के ट्रायल के बाद इसे लाया जाता है. पूरी दुनिया में आठ वैक्सीन जिनको मंजूरी मिली हुई है, फेस 1 फेस टू ट्रायल के बाद ही फेस 3 हुआ है और उसके बाद भी लंबे समय तक फॉलोअप चलता रहा है. पहले चरण में वैक्सीन की सेफ्टी देखी जाती है. दूसरे चरण में देखा जाता है कि क्या एंटीबॉडी बन रही है या नहीं. वायरस को न्यूट्रलाइज कर रही है या नहीं. सेफ्टी इसके साथ साथ चलती रहती है. ट्रायल ऐसा नहीं कि एक ही झटके में हो जाए यह सालों तक चलता रहता है.

वहीं एम्स में इस वैक्सीन के को इन्वेस्टिगेटर और कम्यूनिटी मेडिसिन के डॉ पुनीत मिश्रा के मुताबिक वैक्सीन को हर पैमाने पर चेक किया गया है. इस वैक्सीन के वो ट्रायल हुए है जो जरूरी है यानी जानवरों पर, फेस 1 और 2 और तीसरा चरण जारी है. वहीं इस वैक्सीन के हर ट्रायल में ये सेफ और इम्यूनोजेनेटिक पाई गई है. इसके डाटा स्टडी किया गया और उसके बाद ही इमरजेंसी यूज ऑथोराइजेशन मिली है.

वैक्सीन पूरी तरह सेफ है- पुनीत मिश्रा

पुनीत मिश्रा का कहना है कि, “किसी भी वैक्सीन में सबसे पहली चीज जो होती है फेस वन ट्रायल. ये सेफ्टी के लिए होता है. वही फेस 2 ट्रायल में भी पाया गया कि वैक्सीन सेफ है और इसमें इम्यूनोजेनिसिटी भी है. उसमें भी यह वैक्सीन पूरी तरह से सही पाई गई है. फेस 3 में जैसा बताया गया है कि 22 से 23 हजार लोगों को वैक्सीन दी जा चुकी है. उसमें भी ऐसा कोई साइड इफेक्ट देखने में नहीं आया है.

जहां तक लॉन्ग टर्म साइड इफेक्ट्स की बात है, वो किसी भी वैक्सीन में अभी बहुत ज्यादा जानकारी उपलब्ध नहीं है. लेकिन जितनी भी जांच पड़ताल साइंटिफिक तरीके से हो सकती थी उसमें ऐसी कोई भी चीज निकल कर नहीं आई है. हम लोगों की जो सबसे पहली प्राथमिकता है वो ये कि कोई भी दवा हो वो सेफ हो, नुकसान नहीं पहुंचाए. उसके बाद हमने देखा की कितनी इफेक्टिव है. जब हमने देखा कि हमारे सेफ्टी के मानक पर वो बिल्कुल खरी उतरी है और उसके बाद ही अगले फेस को अनुमति दी गई है.”

उन्होंने आगे कहा कि, “ऐसा नहीं है की कोई एक व्यक्ति सोचे की ये सेफ है. सारे चरण होते है. सबसे पहले हमारा डाटा आईसीएमआर के पास जाता है. अगर हम इस भारत बायोटेक की को वैक्सीन की ही बात करें तो जैसे ही हमारे 10 केस पूरे हुए थे सबसे पहले उन्होंने पूरा डाटा देखा फिर उसके बाद अगले 10 को वैक्सीन दी गई. हर चरण पर सेफ्टी देखी जाती है और उसके बाद ही परमिशन दी जाती है. डीसीजीआई ने भी कहा कि सेफ्टी को लेकर वो 110% सहमत है और मैं उनकी बात से सहमत हूं”

डॉक्टर मानते हैं कि पूरी प्रक्रिया साइंटिफिक तरीके से हुई है और डाटा एनालिसिस करने के बाद अनुमति मिली है. यह बिलकुल सेफ है. वहीं ये महामारी थी इसलिए वैक्सीन के ट्रायल जल्दी और एक साथ हुए. लेकिन जल्दी के दौरान भी सभी साइंटिफिक प्रक्रिया पूरी की गई है.

अगर सेफ्टी की बात करें यह सबसे सेफ वैक्सीन है- डॉ. संजय राय

डॉ संजय राय ने कहा कि, “यह अधिकार क्षेत्र रेगुलेटर के पास है और इसका जवाब को बेहतर देंगे क्योंकि उन्होंने एनालाइज किया है. जो भी डाटा मांगते रहे हैं पिछले 1 महीने के दौरान फेस 1 फेस 2 और उसके बाद फेस 3 का जो भी डाटा था उस आधार पर उन्हें संतुष्ट किया गया है. उन्होंने खुद कहा कि वह खुद 110 फीसदी संतुष्ट है सेफ्टी को लेकर. कोवैक्सीन की अगर मैं बात करूं तो सेफ्टी इसलिए भी ज्यादा चिंताजनक नहीं है क्योंकि कि जो डाटा सपोर्ट करते हैं 10 फीसदी में माइनर सिम्टम्स आए हैं. किसी को बहुत गंभीर कुछ हुआ ही नहीं है बाकी वक्त के साथ हो सकता है. इसका एक और कारण ये भी है कि उसी वायरस को इनएक्टिव करके किल्ड करके दिया जा रहा है. ऐसा नहीं है कि उसी वायरस से कुछ निकालकर अलग प्लेटफार्म पर वैक्सीन तैयार की गई है. मेरी जानकारी के मुताबिक अगर सेफ्टी की बात करें यह सबसे सेफ वैक्सीन है.

डॉ पुनीत मिश्रा का मानना है कि, “जब आपके पास आपात स्थिति होती है तो आप को युद्ध स्तर पर काम कर रहे होते हो. जब आप नॉर्मल प्रक्रिया से गुजर रहे होते हैं तब अलग प्रक्रिया होती है. मान लीजिए कि हम नॉर्मल प्रक्रिया के जरिए पैरामीटर्स को पूरा करने में लगा है और तब तक हमारी आधी आबादी मृत हो जाए या उस संक्रमित हो जाए तो उसका हमें बेनिफिट कहां मिलेगा. सारी अप्रूवल जल्दी-जल्दी हुई है लेकिन जो साइंटिफिक डाटा है उसे देखा गया है. मैं खुद को वैक्सीन का पार्ट मान रहा हूं और मैंने कहीं नहीं देखा कि इसमें सेफ्टी के साथ कोई समझौता किया गया है. जो भी प्रक्रिया की जाती है उस में कहीं भी सेफ्टी के साथ समझौता नहीं किया गया है.

डॉक्टर्स का मुताबिक वैक्सीन में सिर्फ तीन से ज्यादा क्लीनिकल ट्रायल होते है. फेस 3 के बाद  फेस 4 ट्रायल होगा. यह तब किया जाता है जब वैक्सीन मार्केट मिलना शुरू हो जाती है. इसे पोस्ट मार्केटिंग क्लीनिकल ट्रायल कहते है. तीसरे चरण के बाद जब किसी दवा को मंजूरी मिलती है उसके बाद. इस दौरान वैक्सीन के कोई दुष्प्रभाव ये किसी और तरह साइड इफेक्ट है ये देखा जाता है. यानी दवा या वैक्सीन के आने बाद भी ट्रायल जारी रहते गई डाटा एनालिसिस जारी रहता है.

वैक्सीन को किसी जल्दबाजी में या बिना डाटा एनालिसिस के अनुमति नहीं दी गई- संजय राय

वहीं एम्स में भारत बायोटेक की वैक्सीन के प्रिंसिपल इन्वेस्टिगेटर डॉ संजय राय के मुताबिक अभी तक सब कुछ सही है और वैक्सीन को किसी जल्दबाजी में या बिना डाटा एनालिसिस के अनुमति नहीं दी गई. इसका फॉलो अप जारी रहेगा ना सिर्फ कंपनी, इन्वेस्टिगेटर बल्कि डीसीजीआई भी. वहीं उनका कहना है इस फॉलो अप के दौरान अगर उन्हें लगता है कि वैक्सीन से कोई नुकसान है तो वो खुद वैक्सीन को रोकने के लिए आगे आ जाएंगे. वैक्सीन को लेकर कोई चिंता की जरूरत नहीं है.

डॉ संजय राय का कहना है, “बिल्कुल चिंता नहीं करनी चाहिए रेगुलेटर अथॉरिटी भी मॉनिटर करेंगे. हम भी मॉनिटर करेंगे. हम भारत बायोटेक के कर्मचारी नहीं हैं हम साइंटिस्ट हैं हम भी उसको मॉनिटर करते रहेंगे. यह देश की साख की बात है. यह दुनिया में हमारी साख की बात है हमारे देश की साख की बात है. वैक्सीन सही नहीं है तो हम खुद ही चाहेंगे कि उसे बंद कर दिया जाए. तब तक इसको फॉलोअप करते रहेंगे और अभी लंबा फॉलोअप चलता रहेगा. फेस 3 ट्रायल का फॉलोअप इतनी जल्दी खत्म नहीं होगा. सभी लोगों ने एनालिसिस किए हैं, सिर्फ इसी वैक्सीन की बात नहीं है, सारे वैक्सीन का लंबा फॉलोअप चलता रहेगा कम से कम 2 से 3 साल.

भारत बायोटेक की वैक्सीन को अनुमति और ट्रायल पर उठ रहे सवालों पर स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने भी ट्विटर के जरिए जवाब दिया है.

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