2019 लोकसभा चुनाव मतगणना प्रक्रिया पर उठा सवाल, SC ने चुनाव आयोग से चार हफ्ते में मांगा जवाब
2019 लोकसभा चुनाव परिणाम घोषित करने की प्रक्रिया पर शक जताने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से जवाब देने को कहा है. इन याचिकाओं में कहा गया है कि बिना उचित पुष्टि किए चुनाव आयोग ने नतीजे घोषित किए थे.
नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट में इस मसले पर टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा के साथ एनजीओ एसोसिएशन फ़ॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स और कॉमन कॉज की याचिका लंबित है. याचिकाओं में कहा गया है कि मतदान के दौरान ‘माय वोटर टर्नआउट ऐप’ पर आ रहे मतदान के आंकड़े और मतगणना में गिने गए कुल वोट की संख्या में अंतर था. आयोग ने मतगणना के बाद जो नतीजा घोषित किया, उसमें और कुछ दिनों बाद घोषित अंतिम परिणाम में भी अंतर था.
याचिका में कहा गया है कि 542 में से 195 सीटों पर ही शुरू में घोषित नतीजा और अंतिम परिणाम एक बराबर था. 347 सीटों पर 1 से लेकर 1 लाख तक का अंतर दोनों नतीजों में देखा गया. छह सीटों में तो यह अंतर जीतने वाले और दूसरे नंबर पर रहे उम्मीदवार के वोट के अंतर से भी ज़्यादा था. ऐसे में रिज़ल्ट घोषित करने की प्रक्रिया सवालों के घेरे में है. चुनाव आयोग इस बारे में पूछे गए सवाल का संतोषजनक जवाब नहीं दे रहा है.
याचिकाकर्ताओं की मांग है कि नतीजों में अंतर की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए. उनका कहना है कि लोकतांत्रिक प्रक्रिया में लोगों का भरोसा बनाए रखने के लिए ऐसा करना ज़रूरी है. याचिकाकर्ता यह भी चाहते हैं कि चुनाव आयोग नतीजों के बारे में शिकायत और उसकी जांच के लिए अलग से व्यवस्था बनाए. याचिकाओं में यूनाइटेड किंगडम, फ्रांस, पेरू और ब्राजील जैसे देशों का उदाहरण भी दिया गया है.
इसके साथ ही कहा गया है कि इन देशों में चुनाव का रिजल्ट घोषित करने से पहले एक स्वतंत्र अथॉरिटी उसकी अलग से समीक्षा करती है. प्रक्रिया और परिणाम पर स्वतंत्र अथॉरिटी की मुहर के बाद ही नतीजे घोषित होते हैं. भारत में भी चुनाव नतीजे पूरी तरह पुष्टि के बाद ही सार्वजनिक होने चाहिए.
आज NGO की तरफ से पेश वकील प्रशांत भूषण ने यह दावा भी किया कि चुनाव आयोग ने 2019 लोकसभा चुनाव की VVPAT पर्चियों को नष्ट कर दिया है. इसलिए, नतीजों पर संदेह के बावजूद दोबारा मिलान नहीं हो सकेगा. उन्होंने कहा कि वह VVPAT को साल भर तक सुरक्षित रखने की मांग करते हुए अलग से अर्ज़ी दाखिल करेंगे.
पिछले साल 9 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट ने मामले में चुनाव आयोग से जवाब मांगा था. अभी तक आयोग ने जवाब दाखिल नहीं किया है. अब चीफ जस्टिस एस ए बोबड़े की अध्यक्षता वाली बेंच ने आयोग को चार हफ्ते में जवाब देने को कहा है. मामले की अगली सुनवाई मार्च के आखिरी हफ्ते में होगी.